स्वास्थ्य सेवाएं औंधे मुंह.. इन्हें शर्म भी नहीं आती..
रायबरेली : जिले में स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ रही हैं। सरकारी अस्पताल में ही बहुत कुछ बेपटर
रायबरेली : जिले में स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ रही हैं। सरकारी अस्पताल में ही बहुत कुछ बेपटरी है। स्वास्थ्य कर्मी लापरवाही बरत रहे हैं। आलाहाकिम गुनाहों पर पर्दा डालने का काम कर रहे हैं, न कि व्यवस्था में सुधार की कोशिश। स्वास्थ्य विभाग के मुखिया सीएमओ हों, जिला अस्पताल के सीएमएस और जिले के आलाहाकिम डीएम.. सभी को पता है कि जिला अस्पताल में छह महीने से सीटी स्कैन सुविधा बंद पड़ी है। अखबारों में छपी पैंट के ऊपर से प्लास्टर वाली फोटो सबने देखी होगी। मंगलवार को जिला अस्पताल में सीने से चिपकाए असहाय पिता का सच अफसरों को पता है। फिर भी, टकराऊ बयान और छलावा जैसे वादे..मरीजों को बेपनाह दर्द दे रहे हैं।
पहली फोटो में एक शख्स स्ट्रेचर पर लेटा है। उसकी पैंट के ऊपर से प्लास्टर बांध दिया गया। ये उपचार सीएचसी जगतपुर के चिकित्सक ने किया। घायल को उसी हालत में जिला अस्पताल भेज दिया गया। खबर छपी, जांच हुई मगर कार्रवाई नहीं।
दूसरी फोटो में एक पिता अपने नवजात को सीने से चिपकाए जिला अस्पताल में खड़ा है। उसके बच्चे को ऑक्सीजन की दरकार है। क्योंकि बेलगाम नर्सिंग होम में उसे ऑक्सीजन ही नहीं मिली। ऊपर से सादे कागज में रेफर लेटर लिखा गया। दोनों ही करतूत नर्सिंग होम नियमावली का माखौल उड़ा रही हैं। जिम्मेदारों ने कार्रवाई मुनासिब नहीं समझी।
तीसरी फोटो जी हां, ये वही सीटी स्कैन मशीन है, जिसकी कीमत तीन करोड़ बतायी जाती है। लंबी जिद्दोजहद के बाद ये मशीन लगी, इंस्टालेशन भी हो गया। मगर छह माह से यहां ये जांच शुरू नहीं हो सकी। ये बात जिले के जनप्रतिनिधि भी जानते हैं मगर..। चर्चा है कि कमीशन के कारण इसे लटकाया गया है। हां, जांच के नाम पर निजी पैथालाजी सेंटरों से कमीशन मिल ही रहा है। ऐसे में मरीज भोगें..इनकी बला से।