..अब मीटर रीडर कहां से लाएंगे चार हजार बिल
रायबरेली : शहर में बिजली बिल बनाने वाली कार्यदायी संस्था ने आंदोलित मीटर रीडरों से छुटक
रायबरेली : शहर में बिजली बिल बनाने वाली कार्यदायी संस्था ने आंदोलित मीटर रीडरों से छुटकारा पाने के लिए नई चाल चली है। इस पैतरे में ऐसी शर्त रख दी गई है, जिसे सुन मीटर रीडरों को भी चक्कर आ रहे हैं। दरअसल, शहर में बिजली विभाग के लगभग 40 हजार उपभोक्ता हैं। इनके बिल बनाने का काम फ्लूएंटग्रिट देख रही है। कंपनी ने इसके लिए लगभग 22 मीटर रीडर लगा रखे हैं। दो दिनों से चल रही खींचतान के बाद सोमवार को कंपनी मीटर रीडरों की मांगें मानने को तैयार हो गई। अश्वनी मिश्र समेत अन्य मीटर रीडरों ने बताया कि कंपनी 9400 रुपये मानदेय देने को तैयार है, मगर प्रति मीटर रीडर से हर महीने दो हजार बिल बनाने का लक्ष्य रख दिया। जबकि पहले लक्ष्य की कोई बात नहीं हुई थी। लक्ष्य भी ऐसा दिया गया, जो किसी भी हालत में पूरा करना असंभव है। क्योंकि 22 मीटर रीडरों पर लक्ष्य के हिसाब से शहर में 44 हजार उपभोक्ता होने चाहिए। जबकि यहां सिर्फ 40 हजार उपभोक्ता ही हैं। इनमें भी हर महीने करीब 36 हजार बिल ही बनते हैं। किसी न किसी कारण से तीन या चार हजार बिल बन ही नहीं पाते।
बिलों की खातिर दौड़ रहे उपभोक्ता
मीटर रीडरों और कंपनी के बीच की रार का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। दो दिन पहले विवाद खड़ा हुआ था। जिसके बाद बि¨लग का काम बंद हो गया। मीटर रीडर हड़ताल पर हैं। वहीं उपभोक्ता बिलों के लिए परेशान हैं। क्योंकि एक बार भी बिल रुकने पर आगे वह बढ़ जाता है। ऐसे में वह खुद उपकेंद्रों पर पहुंच रहे हैँ।
इनकी भी सुनें
शहर में उपभोक्ताओं के बिजली के बिल नहीं बन पा रहे हैं। यह एक बड़ी समस्या है। मामले को सुलझाकर काम शुरू कराने के लिए उचित कार्रवाई की जा रही है।
-ओपी ¨सह, एक्सईएन