आंखों के ऑपरेशन में लापरवाही का 'मोतियाबिंद'
रायबरेली मामला आंखों का ऑपरेशन में अनदेखी करने का है पर जिला अस्पताल के जिम्मेदारों
रायबरेली : मामला आंखों का ऑपरेशन में अनदेखी करने का है, पर जिला अस्पताल के जिम्मेदारों को लापरवाही का 'मोतियाबिंद' हो गया है। नेत्र रोग विभाग के ऑपरेशन थियेटर (ओटी) में लेंस का नंबर मापने की मशीन तक नहीं है। इसके बावजूद पुराने उपकरणों से ऑपरेशन कर अंदाजे से लेंस लगाया जा रहा है। डीएम ने जांच के आदेश दिए लेकिन, जांच टीम ओटी तक नहीं गई। वहीं, शनिवार को फिर मोतियाबिद के 20 ऑपरेशन कर अंदाजे से लेंस लगा दिए गए।
अंधता निवारण कार्यक्रम के तहत सप्ताह में जिला अस्पताल में दो दिन मोतियाबिद के मरीजों का निश्शुल्क ऑपरेशन किया जाता है। यहां पांच सर्जन में से डॉ. अनुज सिंह कुशवाहा ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया। इसकी वजह ओटी में बदइंतजामी और ओटी इंचार्ज का लापरवाह रवैया बताया। लेंस का नंबर मापने के लिए जरूरी किरेटोमीटर और ए-स्कैन मशीन तक अस्पताल में नही हैं। सीएमओ डॉ. संजय शर्मा ने मामले की जांच के लिए टीम गठित की, पर वह जिला अस्पताल गई ही नहीं। जब अंदाजे से लेंस लगाने की बेपरवाही मीडिया में उजागर हुई तो डीएम शुभ्रा सक्सेना ने संज्ञान लिया। उन्होंने जांच के आदेश दिए तो सीएमओ ने एसीएमओ की अगुवाई में दूसरी टीम गठित की। पर, यह टीम भी अब ओटी नहीं पहुंची। कोट
मशीन की डिमांड सीएमओ ऑफिस भेजी गई है। अंदाजे से लेंस डालने में कोई खास दिक्कत नहीं होती। ऑपरेशन के बाद सब ठीक रहता है।
-डॉ. एनके श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
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दो एसीएमओ के नेतृत्व में टीम गठित की गई है। जांच के बाद जो भी असुविधा होगी, उसे दूर कराया जाएगा।
-डॉ. संतोष कुमार चक, प्रभारी सीएमओ
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ए-स्कैन और किरेटोमीटर मशीन खरीदने के लिए राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम में बजट नहीं आता। सीएमएस ही इन मशीनों को खरीदें और लगवाएं। मैं जल्द ही ओटी की हकीकत देखूंगा।
-डॉ. नागेंद्र कुमार, प्रभारी, राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम