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संस्कृत भाषा को संजो रहे डॉ. प्रशस्य मित्र

संस्कृत भाषा में राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति तक से मिल चुका पुरस्कार सेवानिवृत्त होने के बाद नहीं टूटा नाता संस्कृत में लिखे काव्य और साहित्य

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 10:43 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 10:43 PM (IST)
संस्कृत भाषा को संजो रहे डॉ. प्रशस्य मित्र
संस्कृत भाषा को संजो रहे डॉ. प्रशस्य मित्र

रायबरेली : विश्व की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत की उपेक्षा किसी से छिपी नहीं है। सभी भाषाओं को एक सूत्र में पिरोने वाली देवभाषा संस्कृत की महत्ता प्राचीन ग्रंथों में मिलती है। इसके बावजूद नई पीढ़ी इससे दूर होती जा रही है। इन सबके बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो संस्कृत भाषा को संजोने में लगे हैं। उन्हीं में से एक हैं डॉ. प्रशस्य मित्र शास्त्री। एफजी कॉलेज में संस्कृत विभागाध्यक्ष रह चुके डॉ. शास्त्री की विद्वता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें विदेशों तक से बुलावा आता है। इतना ही नहीं वे देश के पहले संस्कृत ज्ञाता हैं जिनकी रचना में हास्य व्यंग्य संस्कृत में होता है। देश हो या विदेश हर जगह की ज्वलंत समस्या को भी इस भाषा से ही काव्य व साहित्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अब तक उन्हें राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति तक सम्मानित भी किया जा चुका है।

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1975 में लिखी पहली संस्कृत गीतमाला

वर्ष 1975 में पहली बार संस्कृत गीतमाला की रचना की। उन्होंने बताया कि देश में जब अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का आगमन हुआ था तो उन्होंने मोनिका लेवेंस्की मामले पर संस्कृत में प्रकरण का व्याख्यान दिल्ली में किया था। वहीं राम जन्म भूमि विवाद पर भी रचना की है। गांधी के तीन बंदरों के माध्यम से देश की भ्रष्ट राजनीति पर प्रहार कविता के माध्यम से कर चुके हैं।

डॉ. प्रशस्य मित्र शास्त्री के पुरस्कारों पर नजर

2007-08- मध्य प्रदेश संस्कृत अकादमी का पुरस्कार

2013- राष्ट्रपति पुरस्कार

2017- महर्षि वाल्मिकी पुरस्कार

2017- माम कीमन गृहम पुस्तक पर विशेष पुरस्कार

2017 में विशेष पुरस्कार के लिए चयन

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की ओर से वर्ष 2017 में दो पुरस्कारों के लिए चयनित किया गया था। महर्षि वाल्मीकि सम्मान और माम कीमन गृहम पुस्तक पर विशेष पुरस्कार मिला। जनवरी 2014 में राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. प्रणव मुखर्जी के हाथों सम्मानित हो चुके हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश के संस्कृत अकादमी से वर्ष 2007-08 सम्मान मिला है।

वाट्स एप ग्रुप बनाकर बच्चों को संस्कृत का ज्ञान

सेवानिवृत्त होने के बाद भी संस्कृत से नाता नहीं टूटने दिया। संस्कृत में कई काव्य और साहित्य लिखते रहे। इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया। इस दौरान वाट्स एप ग्रुप भी बना रखा है। इसमें छात्र-छात्राओं को संस्कृत भाषा के बारे में जानकारी देते रहते हैं। वर्ष 2019 में परिहास विजलपितम हास्य व्यंग्य लिखा।


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