ढहने की कगार पर जिले की एक धरोहर
डलमऊ (रायबरेली) : रायबरेली की धरोहरों में शुमार राजा डलदेव का किला कभी भी ढह सकता
डलमऊ (रायबरेली) : रायबरेली की धरोहरों में शुमार राजा डलदेव का किला कभी भी ढह सकता है। जीर्ण शीर्ण हालत में पहुंच चुके किले का निर्माण डलदेव ने 16वीं शताब्दी पूर्व कराया था। किला अपनी प्रभुता से ही जिले की धरोहरों में शामिल हुआ। लेकिन अब अपनों की बेरुखी का शिकार है।
मां गंगा के पावन तट पर राजा डलदेव ने लगभग 16वीं शताब्दी पूर्व किले का निर्माण कराया था। कस्बावासी बुजुर्ग उमेशदत्त ने बताया कि वर्ष 1965 में नवीन चौधरी चरण ¨सह पंप कैनाल का निर्माण किला परिसर में ही ¨सचाई विभाग ने शुरू कराया था। निर्माण पूरा होने के बाद 1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से उद्घाटन कराने का कार्यक्रम तय हुआ था। जिसके बाद ¨सचाई विभाग ने ही उद्घाटन के पहले ही किले का जीर्णोद्धार कराया था। उस समय पंप कैनाल के उद्घाटन के दौरान इंदिरा गांधी भी किले को देख काफी प्रभावित हुई थी। लेकिन उसके बाद किसी ने किले की ओर देखना भी मुनासिब नहीं समझा। किला परिसर में ही ¨सचाई विभाग का अतिथिगृह बना हुआ है। जहां हर माह कोई न कोई जिम्मेदार अधिकारी आते रहते हैं। लेकिन किसी ने उक्त प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए प्रयास नहीं किये गए। जिसके कारण प्राचीन किला ढहने के कगार पर है।
पर्यटकों का रहता है जमावड़ा
डलमऊ की ऐतिहासिक धरोहरों में राजा डलदेव का किला, गंगा तट पर गुरुकुल शिक्षा पद्धति से संचालित बड़ा मठ, प्राचीन मंदिर, एशिया के लि¨फ्टग पंप कैनालों में शुमार पंप कैनाल, अकबर कालीन दरगाहें आदि को देखने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते हैं। डलमऊ नगर पंचायत अध्यक्ष बृजेशदत्त गौड़ ने बताया कि प्राचीन किले के संरक्षण व डलमऊ को पर्यटक स्थल घोषित करने के लिए मुख्यमंत्री व पर्यटन मंत्री को पत्राचार किया गया है। डलमऊ की प्राचीन इमारतों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
धरोहर को बचाने के होंगे प्रयास
अधिशासी अभियंता सिद्धार्थ कुमार ने बताया कि उक्त किला का जीर्णोद्धार यदि मेरे विभाग से होना है तो उच्चाधिकारियों से बात कर जीर्णोद्धार कराया जाएगा। फिलहाल मेरी जानकारी में नहीं है कि किला ढहने के कगार पर है। ऐतिहासिक धरोहर है, इसे बचाने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे।