अब कानपुर नहीं, लखनऊ विवि से संबद्ध होंगे 85 महाविद्यालय
स्नातक तीन साल नहीं बल्कि छह सेमेस्टर में होगा पूरा अभिभावकों के जेब पर पड़ेगा असर
रायबरेली : जिले में उच्च शिक्षा के ढांचे में परिवर्तन हो गया। स्नातक और परास्नातक की कक्षाएं अब कानपुर के बजाए लखनऊ विश्व विद्यालय की निगरानी में संचालित होंगी। कारण इसी से जिले के 85 महाविद्यालयों को संबद्ध कर दिया गया है। इसका असर न केवल पढ़ाई पर पड़ेगा, बल्कि अभिभावकों की जेब पर भी पड़ना तय है।
जिले में करीब 85 महाविद्यालय हैं। ये सभी कानपुर विवि से संबद्ध थे। कुछ समय से इन महाविद्यालयों को लखनऊ विश्वविद्यालय से जोड़ने की प्रक्रिया चल रही थी, जो पूरी हो गई। नए सत्र में स्नातक की पढ़ाई अब लखनऊ विश्वविद्यालय के दिशा-निर्देशन में होगी। पहले जहां तीन साल में बीए, बीएससी, बीकॉम पूरा हो जाता था। अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत छह सेमेस्टर में होगा। हर साल दो सेमेस्टर की पढ़ाई होगी। प्रत्येक सेमेस्टर की फीस दो हजार रुपये विश्वविद्यालय से निर्धारित की गई है। ऐसे में पहले जहां पूरे साल में बमुश्किल 800 से एक हजार रुपये खर्च आता था, अब पांच हजार रुपये तक पहुंच जाएगा।
जिले के महाविद्यालयों पर एक नजर
85- महाविद्यालय
625 रुपये - कानपुर विवि परीक्षा शुल्क
100 रुपये - कानपुर विवि नामांकन शुल्क
2000 रुपये- लखनऊ विवि प्रति सेमेस्टर शुल्क
1000 रुपये - लखनऊ विवि नामांकन शुल्क
4275 रुपये- दोनों विश्वविद्यालयों में एक साल का अंतर
निजी कॉलेजों की पढ़ाई होगी महंगी
संबद्धता बदलने का सबसे अधिक प्रभाव निजी कॉलेज में अध्ययनरत छात्रों पर पड़ेगा। कानपुर विवि की मामूली फीस के बावजूद महाविद्यालय संचालक आठ से 10 हजार रुपये वसूल लेते थे। अब लखनऊ विवि से जुड़ने के बाद यह धनराशि 15 से 20 हजार रुपये तक पहुंच जाएगी।
जिले के महाविद्यालय अब तक सीएसजेएम यूनिवर्सिटी कानपुर से संबद्ध थे। अब नए सत्र में सभी कॉलेज लखनऊ विश्वविद्यालय से संचालित होंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सेमेस्टर प्रणाली लागू हो जाएगी। फीस में भी अंतर है।
डॉ. यूबी सिंह, प्रभारी प्राचार्य, एफजी कॉलेज