सुल्तानपुर ट्रैक पर इलेक्ट्रिक इंजन से दौड़ेंगीं गाड़ियां
आने वाले कुछ दिनों में सुल्तानपुर रेल मार्ग पर रेल सफर करना सुविधाजनक हो जाएगा। इस ट्रैक का विद्युतीकरण तेजी से हो रहा है। इससे गाड़ियों की रफ्तार भी बढ़ जाएगी। रेलवे ने रेल ट्रैक दोहरीकरण व विद्युतीकरण का कार्य जिले में तेज कर दिया है। पिछले दो साल में जंघई से गौरीगंज के बीच दोहरीकरण व विद्युतीकरण तेजी से किया गया। काफी हद तक काम पूरा भी हो गया है। इस पर तो इलेक्ट्रिक इंजन चलाने का ट्रायल भी हो गया है जो सफल रहा है। इसके बाद फाफामऊ तक दोहरीकरण व विद्युतीकरण किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : आने वाले कुछ दिनों में सुल्तानपुर रेल मार्ग पर रेल सफर करना सुविधाजनक हो जाएगा। इस ट्रैक का विद्युतीकरण तेजी से हो रहा है। इससे गाड़ियों की रफ्तार भी बढ़ जाएगी।
रेलवे ने रेल ट्रैक दोहरीकरण व विद्युतीकरण का कार्य जिले में तेज कर दिया है। पिछले दो साल में जंघई से गौरीगंज के बीच दोहरीकरण व विद्युतीकरण तेजी से किया गया। काफी हद तक काम पूरा भी हो गया है। इस पर तो इलेक्ट्रिक इंजन चलाने का ट्रायल भी हो गया है, जो सफल रहा है। इसके बाद फाफामऊ तक दोहरीकरण व विद्युतीकरण किया जा रहा है। तीसरी सौगात के रूप में प्रतापगढ़ से सुल्तानपुर मार्ग पर विद्युतीकरण शुरू हुआ है। सहायक अभियंता आर कुमार का कहना है कि आधुनिक उपकरण यान का सहयोग लेकर कर्मी काम कर रहे हैं। मौसम की खराबी से दिक्कत तो आ रही है, पर काम चल रहा है।
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बदले जाएंगी खराब पटरियां
प्रतापगढ़-सुल्तानपुर रूट पर खुंडौर स्टेशन के पहले की पटरियां दब गई हैं। इस वजह से वहां पर ट्रेन की रफ्तार कम हो जाती है। इसके बाद भी यात्रियों को हिचकोले खाने पड़ते हैं। अब इस तरह की पटरियों को बदला जाएगा।
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प्रयागराज से सीधा सफर
सुल्तानपुर रेल मार्ग पर विद्युतीकरण हो जाने पर इसका लाभ प्रयागराज तक के लोगों को सीधे तौर पर मिलेगा। वहां से ट्रेन से चलने पर उनको सफर आरामदायक होगा। बीच में कहीं बीच में कोई और ट्रेन भी नहीं बदलनी होगी।
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बढ़ जाएगी रफ्तार
अब तक सुल्तानपुर रूट पर रेल गाड़ी की औसत रफ्तार 50 किमी प्रति घंटा ही रखी जाती है। इलेक्ट्रिक इंजन का संचालन होने पर गाड़ियों की रफ्तार कम से कम 80 किमी प्रति घंटे तक हो जाएगी। इससे यात्रियों का समय बचेगा
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नहीं फैलेगा प्रदूषण
डीजल इंजन चलने से जहरीला काला धुआं निकलता है। बिजली के इंजन में यह नहीं होगा। पर्यावरण चितक डॉ. राधेश्याम मौर्य बताते हैं कि धुएं में कार्बन मोनो आक्साइड की मात्रा बहुत रहती है। इससे वायु ये आक्सीजन कम हो जाती है।