टेंडर चौक तक का दर्शाया, निर्माण राजापाल टंकी तक होगा
प्रतापगढ़ नगर पालिका प्रशासन की तरफ से अखबारों में प्रकाशित विज्ञापन में पुरषोत्तम दास टंड
प्रतापगढ़ : नगर पालिका प्रशासन की तरफ से अखबारों में प्रकाशित विज्ञापन में पुरषोत्तम दास टंडन तिराहे से चौक तक आरसीसी डिवाइडर निर्माण के संबंध में होना दर्शाया गया था, मगर यह डिवाइडर चौक तक ना बनकर राजा पाल टंकी तक बनकर रुक जाएगा। इस अधूरे रास्ते तक निर्माण प्रक्रिया को बंद करने की आशंका को लेकर लेकर सवाल खड़ा करने वाले सभासद की ही बात को जब दैनिक जागरण ने अपने सोमवार के अंक में उठाया तो अब नगर पालिका प्रशासन भी वही बात मानने को विवश हो उठा। यानि आरसीसी डिवाइडर निर्माण के लिए टेंडर तो हुआ चौक तक के लिए, लेकिन इसका निर्माण राजा पाल टंकी तक ही हो पाएगा। सवाल उठता है कि सितंबर माह में जारी किया गया टेंडर जनता को भरमाने कि लिए था, इसका जवाब जनता चाहती है।
पिछले कई दिनों से शहर की सबसे व्यस्त रहने वाली सड़क का हाल बद से बदतर कर दिया गया है। कंपनी बाग के पास सामने सड़क के किनारे गिट्टी, डिवाइडर के लिए बिछाए गए लोहे के जाल मौत को दावत दे रहे हैं। अंबेडकर चौराहे के आगे सड़क खोद दी गई है। नगर पालिका प्रशासन की पोल खोलने वाले सभासद विनय सिंह भोला का कहना है कि पालिका प्रशासन शहरी लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है, उन्होंने इसकी पोल खोल दी है। यह काम तीन महीने में होना है और आने वाला समय बता देगा कि नगर पालिका प्रशासन ने अपने विज्ञापन में क्या दर्शाया था और कितने पर निर्माण जाकर ठप पड़ेगा। सभासद का कहना है कि एक बात तो साफ है कि वर्ष 2013-14 की कहानी को एक बार फिर दोहराने की तैयारी चल रही है। उस बार भी टेंडर पुरषोत्तम दास टंडन तिराहे से लेकर चौक तक डिवाइडर निर्माण का हुआ था और श्रीराम तिराहे तक बनाकर छोड़ दिया गया था। उस बार यह बात दबी रह गई थी। इस बार भी वही कहानी रिपीट की जा रही है, जो वह ना होने देंगे। सभासद की ही बात अब नगर पालिका के ईओ भी दोहरा रहे हैं। ईओ मुदित सिंह के मुताबिक टेंडर भले ही चौक तक के लिए हुआ है, अभी केवल राजापाल टंकी चौराहे तक ही डिवाइडर बनाया जाएगा। मेडिकल कालेज बनने के बाद रोड का चौड़ीकरण होगा। उसके बाद चौक से राजापाल टंकी चौराहे तक डिवाइडर का काम कराया जाएगा। सवाल उठता है कि मेडिकल कालेज बनने के बाद चौक तक डिवाइडर बनना था, तो टेंडर चौक तक के लिए क्यों जारी किया गया। कुछ तो गड़बड़ है।