Move to Jagran APP

प्रतापगढ़ से अयोध्या जाता था हजारों कार सेवकों का भोजन

विहिप और आरएसएस के शंखनाद पर वर्ष 1992 में देश भर से अयोध्या में हजारों कार सेवक जुटे। ऐसे में कार सेवकों को भोजन सामग्री उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती सामने आ गई। यह सौभाग्य मिला प्रतापगढ़ के लोगों को। यह संदेश मिलते ही कई बड़े व्यापारी और प्रभावशाली लोग सक्रिय हो गए। देखते ही देखते शहर के गोपाल मंदिर में राशन का भंडार लग गया। हर दिन यहां पूरी-सब्जी के हजारों पैकेट तैयार होते और हाफ डाला ट्रक से उसे अयोध्या पहुंचाया जाता।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 04:09 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 07:23 AM (IST)
प्रतापगढ़ से अयोध्या जाता था हजारों कार सेवकों का भोजन
प्रतापगढ़ से अयोध्या जाता था हजारों कार सेवकों का भोजन

आशुतोष तिवारी, प्रतापगढ़ : विहिप और आरएसएस के शंखनाद पर वर्ष 1992 में देश भर से अयोध्या में हजारों कार सेवक जुटे। ऐसे में कार सेवकों को भोजन सामग्री उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती सामने आ गई। यह सौभाग्य मिला प्रतापगढ़ के लोगों को। यह संदेश मिलते ही कई बड़े व्यापारी और प्रभावशाली लोग सक्रिय हो गए। देखते ही देखते शहर के गोपाल मंदिर में राशन का भंडार लग गया। हर दिन यहां पूरी-सब्जी के हजारों पैकेट तैयार होते और हाफ डाला ट्रक से उसे अयोध्या पहुंचाया जाता।

loksabha election banner

इसकी पूरी जिम्मेदारी हिदु जागरण मंच के पूर्व प्रदेश महामंत्री और आरएसएस के वरिष्ठ कार्यकर्ता राम सेवक त्रिपाठी के कंधों पर थी। वह इस समय 84 वर्ष के हैं और वह पिछले चार दिनों से टीवी से चिपके हैं। वह पांच अगस्त को अयोध्या में होने जा रहे राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के उस ऐतिहासिक पल को अपने दिल में बसाने के लिए बेचैन हैं। वह वर्ष 1992 के बारे में दैनिक जागरण से बताते हैं कि शहर के गोपाल मंदिर में सुबह सात बजे से कार सेवकों के लिए पूरी-सब्जी तैयार करने का काम शुरू होता और शाम छह बजे तक खत्म हो पाता। हर दिन तेल, आटा और सब्जी देने वालों का तांता लगा रहता। पूर्व मंत्री बृजेश शर्मा, पूर्व विधायक रमेश बहादुर सिंह, मुरली धर केसरवानी और अशोक आहूजा जैसे लोगों का काफी सहयोग मिला। छह दिसंबर वर्ष 1992 को भी कार सेवकों के लिए भोजन सामग्री की तैयारी हो रही थी। उसी समय दो कार्यकर्ता दौड़कर उनके पास आए और घबराते हुए बताया कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया गया है। शहर में दंगा भड़कने वाला है, भाग चलो। इतना सुनना था कि वहां काम कर रहे लोग भाग निकले। हमारे अलावा दो-चार लोग ही बचे। उसी समय मैं सड़क पर माहौल भांपने गया तो देखा शहर कोतवाल की गाड़ी सायरन बजाती भागी जा रही थी। लोग अपनी दुकान बंद कर रहे थे, फिर मैं भी अपने साथियों के साथ घर के लिए निकल गया। उस समय पांच बड़े कड़ाहों में सब्जी पक रही थी। पूरियां बनकर तैयार हो गई थीं, सिर्फ उन्हें पैकेट में रखना भर शेष था, सबकुछ वहां छोड़कर हम भाग निकले। शाम होते-होते पूरा शहर छावनी बन चुका था। कल्याण सरकार गिर चुकी थी। पांच अगस्त को राम की नगरी अयोध्या में प्रधानमंत्री के हाथों भूमि पूजन होना है, यह पूरे देश के लिए गौरव का क्षण है, हम इस ऐतिहासिक क्षणों के गवाह बन सकेंगे, यह सपने में भी नहीं सोचा था।

--------------

स्वामी करपात्री ने गोंडा में मुहिम को दी थी धार

प्रतापगढ़ : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मुहिम को धार सबसे पहले गोंडा में मिली थी। यह कोई और नहीं प्रतापगढ़ के रहने वाले एवं अखिल भारतीय रामराज्य परिषद के संस्थापक स्वामी करपात्री महराज की देन थी। उन्हीं ने 1949 में बलरामपुर के राजा पाटेश्वरी प्रसाद सिंह के साथ रणनीति तैयार की। स्वामी करपात्री का जन्म वर्ष 1907 में हुआ था। वह प्रतापगढ़ जिले के भटनी ग्राम में एक ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। युवा अवस्था में उन्होंने ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से नैष्ठिक ब्रह्मचारी की दीक्षा ली थी। आगे चलकर उन्होंने अखिल भारतीय रामराज्य परिषद का गठन किया। वर्ष 1982 करपात्री महाराज का स्वर्गवास हो गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.