रात में नहीं निकलेगी चौकी, सुबह सिर्फ भरत मिलाप
इस बार शहर में होने वाले दशहरा उत्सव व भरत मिलाप का स्वरूप सादा रहेगा। कोई खास सजावट नहीं होगी। भरत मिलाप वाली रात में दूल्हन की तरह शहर अबकी नहीं सजेगा। चौकी भी नहीं निकलेगी। इस बार भरत मिलाप और दशहरा का कोई मेला नहीं लगेगा।
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : इस बार शहर में होने वाले दशहरा उत्सव व भरत मिलाप का स्वरूप सादा रहेगा। कोई खास सजावट नहीं होगी। भरत मिलाप वाली रात में दूल्हन की तरह शहर अबकी नहीं सजेगा। चौकी भी नहीं निकलेगी।
इस बार भरत मिलाप और दशहरा का कोई मेला नहीं लगेगा। भरत मिलाप की रात कोई चौकी और झांकी का प्रदर्शन भी नहीं होगा। केवल सुबह सादगी से भरत मिलाप कराया जाएगा। शहर का भरत मिलाप अंग्रेजों के जमाने का है। देश की आजादी से पहले से हो रहा यह आयोजन अंग्रेज भी नहीं रोक पाए थे। इस बार कोरोना ने इस पर ग्रहण लगा दिया है। जिला प्रशासन किसी भी हाल में कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। ऐसे में रामलीला समिति के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। समिति का प्रयास था कि भरत मिलाप 28 अक्टूबर की सुबह होगा। ऐसे में 27 की रात दो-चार चौकियां शहर में घुमा दी जाएं, जिससे परंपरा चलती रहे, लेकिन प्रशासन तैयार नहीं है। शुक्रवार को रामलीला समिति के अध्यक्ष श्याम शंकर सिंह, संरक्षक रोशन लाल ऊमरवैश्य, उपाध्यक्ष संजय खंडेलवाल और मंत्री विपिन गुप्ता के साथ अफसरों की बैठक हुई। देर शाम तक चली बैठक में अनुमति नहीं मिली। एडीएम शत्रोहन वैश्य ने कहा कि कोरोना संकट को देखते हुए कोई भी भीड़ नहीं की जा सकती। चौकी निकलेगी तो भीड़ जरूर होगी। ऐसे में अनुमति नहीं दी जा सकती। ऐसे में अब 28 की सुबह चार बजे गोपाल मंदिर से राम और भरत का रथ निकलेगा। महज 200 मीटर की दूरी तय कर चौक में आएगा, जहां सादगी से भरत मिलाप हो जाएगा। जब तक सुबह शहर के लोग जगेंगे तब तक राम भरत मिलकर जा चुके होंगे। इसी तरह दशहरे में भी कोई भीड़ नहीं होगी। केवल राम और रावण का रथ शाम को गोपाल मंदिर से जाएगा और सांकेतिक युद्ध के बाद रावण के पुतले का दहन कर दिया जाएगा।