सात महीने बाद विद्यालयों में लौटी रौनक, चहके बच्चे
पिछले आठ माह से बंद चल रहे स्कूलों में सोमवार से कुछ हद तक रौनक लौट आई। हालांकि सहमति देने के बाद भी काफी कम संख्या में बच्चे स्कूल पहुंचे। सभी स्कूलों में गाइड लाइन के तहत ही स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा गया था।
प्रतापगढ़ : पिछले आठ माह से बंद चल रहे स्कूलों में सोमवार से कुछ हद तक रौनक लौट आई। हालांकि सहमति देने के बाद भी काफी कम संख्या में बच्चे स्कूल पहुंचे। सभी स्कूलों में गाइड लाइन के तहत ही स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा गया था। सैनिटाइजेशन के बाद ही छात्र-छात्राओं को स्कूल में प्रवेश करने दिया गया। वहीं कुछ स्कूलों में बिना मास्क के बच्चे पहुंचे तो उन्हें दोबारा ऐसी गलती ना करने के लिए समझाया गया। वहीं माध्यमिक शिक्षा परिषद के अपर सचिव सतीश चंद्र द्विवेदी ने भी कई स्कूलों का जायजा लिया।
जिले में कक्षा नौ से 12 तक पढ़ने वाले कुल बच्चों की संख्या एक लाख 61 हजार 123 बच्चे है। इनमें से 61 हजार 89 बच्चों के अभिभावकों ने स्कूल भेजने के संबंध में अपनी सहमति दी थी। इसके बावजूद इससे भी कम बच्चे स्कूल आए। कोविड-19 कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू होने के बाद मार्च महीने से बंद हुए विद्यालयों को पढ़ाई के लिए शासन के निर्देश पर सोमवार से खोल दिया गया । दो पाली में स्कूल चलाने का निर्देश था। ऐसे में पहली पाली में 8 बजकर 50 मिनट से 11 बजकर 50 मिनट तक और दूसरी पाली में 12: 20 से तीन बजकर 20 मिनट तक स्कूल चले। इस दौरान कोविड-19 के नियमों का सख्ती से पालन कराते हुए बच्चों को सैनिटाइज करने के बाद ही स्कूलों में प्रवेश दिया गया। विद्यालय परिसर व अध्ययन कक्ष के साथ मेज कुर्सी को सैनिटाइज किया गया था। विद्यालय में आए छात्र-छात्राओं में काफी उत्साह रहा। माध्यमिक शिक्षा परिषद के अपर सचिव एसपी द्विवेदी ने डीआइओएस सर्वदानंद के साथ जीजीआइसी, न्यू एंजिल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल फुलवारी, ग्राम विकास इंटर कालेज देल्हूपुर व सरोजिनी इंटर कॉलेज कुसमी का निरीक्षण किया। इस दौरान अपर सचिव ने विद्यालयों की साफ सफाई तथा छात्रों की उपस्थिति से संबंधित विवरण देखा। शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए शिक्षक एवं बच्चों को निर्देशित किया। डीआइओएस सर्वदा नंद ने बताया कि जिले के 37 फीसद बच्चों के अभिभावकों ने सहमति पत्र दिया था। सोमवार को कितने बच्चे स्कूल आए इसका आंकलन कराया जा रहा है। हालांकि शिक्षा विभाग के 37 फीसद दावे के सापेक्ष बहुत ही कम बच्चे स्कूल आए थे।