रेल ट्रैक के किनारे सीमेंट खोजती रही आरपीएफ
चलती मालगाड़ी के वैगन के दरवाजे खुले होने को लेकर आरपीएफ रात भर रेल ट्रैक के किनारे सीमेंट की भरी बोरियां खोजने में भटकती रही। हालांकि एक भी बोरी गिरी नहीं मिली। बाद में रानीगंज के पास दांदूपुर में गाड़ी को रोककर इसकी पड़ताल भी गई। उसके बाद वैगन को सील कराकर रवाना किया गया।
जासं, प्रतापगढ़ : चलती मालगाड़ी के वैगन के दरवाजे खुले होने को लेकर आरपीएफ रात भर रेल ट्रैक के किनारे सीमेंट की भरी बोरियां खोजने में भटकती रही। हालांकि एक भी बोरी गिरी नहीं मिली। बाद में रानीगंज के पास दांदूपुर में गाड़ी को रोककर इसकी पड़ताल भी गई। उसके बाद वैगन को सील कराकर रवाना किया गया।
वैसे तो कई बार ऐसा होता है कि मालगाड़ी के वैगन का गेट खुला रह जाता है। इसमें कर्मियों की लापरवाही होती है, पर गेट खुला रहने से खतरा होने की आशंका रहती है। संयोग से अगर इसके दरवाजे सिग्नल के खंभे से टकरा जाएं तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है। रेल संचालन तक प्रभावित हो सकता है। इसके बाद भी संबंधित कर्मी बेपरवाही कर जाते हैं। ऐसा ही हुआ जब मंगलवार की रात गौरीगंज फैक्ट्री से सीमेंट लादकर मालगाड़ी वाराणसी के लिए चली। उसके कई वैगन खुले ही रहे। प्रतापगढ़ जंक्शन पर गाड़ी को देख आरपीएफ सिपाही अभिषेक वर्मा ने गेट खुला होने की सूचना इंस्पेक्टर और अधीक्षक को दी। रेल संपत्ति की सुरक्षा के लिहाज से सीमेंट की बोरियां गिरने की आशंका में रात में आरपीएफ स्टाफ ने तालाखजुरी तक छानबीन की। रात का वक्त होने से इसमें कोई कामयाबी नहीं मिल सकी। एक भी बोरी नहीं मिली। ऐसे में आशंका यह भी है कि रास्ते में गिरी बोरियां लोग उठा ले गए होंगे। अब इसका मिलान तो अपलोड के दौरान ही हो सकेगा। अगर वहां के अफसरों ने माल कम पाया तो संबंधित रेल कर्मी दंडित भी हो सकते हैं। इस बारे में आरपीएफ इंस्पेक्टर सीपी मिश्र ने बताया कि किसी कर्मी के न देखने से कुछ वैगन का गेट खुला रह गया था। जानकारी होने पर हम लोगों ने उसे बंद कराया। खोजबीन में कहीं सीमेंट की बोरियां गिरी हुई नहीं मिलीं।