मुंबई में टैक्सी भी चला चुके हैं विधायक बने राजकुमार
राज नारायण शुक्ल राजन प्रतापगढ़ जो मुस्करा रहा है उसे दर्द ने पाला होगा जो चल रहा
राज नारायण शुक्ल 'राजन', प्रतापगढ़: 'जो मुस्करा रहा है उसे दर्द ने पाला होगा, जो चल रहा है उसके पांवों में छाला होगा। बिना संघर्ष के कोई चमक नहीं सकता, जो जलेगा उसी दीये में उजाला होगा.।' यह पंक्तियां प्रतापगढ़ सदर के नवनिर्वाचित विधायक राजकुमार पाल की संघर्ष गाथा को बयां करती हैं। साधारण परिवार में जन्मे राजकुमार ने मुफलिसी भी देखी है। संघर्ष के दौर में टैक्सी व आटो तक चलाया है, लेकिन चुनौतियों से हार नहीं माने। इसके चलते वह अब जन सामान्य से माननीय बन गए।
सदर क्षेत्र के पूरे ईश्वरनाथ गांव में रामसुख पाल के घर इसराजी देवी ने उन्हें 1963 में जन्म दिया। पिता मिल में नौकरी करते थे। मां गृहणी थीं। 1983 में स्नातक की पढ़ाई के दौरान छात्रसंघ चुनाव में भी कूदे। जीते तो नहीं, लेकिन राजनीति का ककहरा जरूर सीखा। इधर आर्थिक परेशानी के कारण बीए द्वितीय वर्ष की पढ़ाई छोड़ कमाने के लिए मुंबई चले गए। वहां आटो व टैक्सी चलाने तो लगे, लेकिन मन वहां बहुत लगा नहीं।
इस बीच राजनीति में आने को इच्छी बलवती हुई तो 1992 में घर लौट आए। 1993 में सपा नेता रामलखन यादव से जुड़कर सपा में आ गए। कई पदों पर काम किया व अनुभव जुटाए। सामाजिक सोच के चलते वह गंवई राजनीति में भी घुलने-मिलने लगे। 1995 में पंचायत चुनाव में उनकी पत्नी राजकुमारी 245 वोटों से प्रधान चुनीं गईं। इसके बाद तो जैसे इस सीट पर इनका कब्जा ही रहने लगा। वर्ष 2000 में सामान्य सीट होने पर राजकुमार पाल 119 वोट से प्रधान बने। फिर पांच साल बाद यानी 2005 में इनकी पत्नी प्रधान निर्वाचित हुईं। केवल 2010 में यह सीट इनसे फिसली। 2015 में फिर राजकुमारी चुनी गईं। इस साल राजकुमार ने जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में किस्मत आजमाई। 2018 में इनकी पत्नी राजकुमारी का बीमारी के चलते निधन हो गया। इससे पूरे परिवार को तगड़ा झटका लगा। प्रधानी का उपचुनाव हुआ तो इनकी बेटी प्रियंका पाल को गांव वालों ने निर्विरोध चुन लिया। इस बीच राजकुमार ने 2010 में भाजपा का दामन थामा तो इसी के होकर रहे। इस दौरान कई पदों पर काम किया। इस विधानसभा उपचुनाव में गठबंधन के तहत भाजपा ने सीट छोड़ी तो अपना दल ने राजकुमार को प्रत्याशी घोषित कर दिया। वह अपना दल के चुनाव निशान पर लड़े और विधायक चुन लिए गए।
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बच्चों को खूब पढ़ाया
राजकुमार खुद तो परेशानियों के कारण बहुत नहीं पढ़ सके, लेकिन बच्चों को शिक्षा में आगे बढ़ाने में कसर नहीं छोड़ी। इनकी बड़ी बेटी ज्योति पाल सीआरपीएफ में है। छोटी बेटी प्रधान प्रियंका पीसीएस की तैयारी कर रही है। उनसे छोटी बेटी सुप्रिया व पुत्र कुंदन पाल बी-टेक कर चुके हैं। राजकुमार के माता-पिता और बच्चे संयुक्त परिवार में एक साथ रहते हैं। पिता रामसुख अब मिल से रिटायर हो चुके हैं और मां इसराजी पूरे परिवार का मार्गदर्शन करती हैं।