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अधिकारी हमार मजूरी नाहीं देत अहय, अब उम्मीद छोड़ दिहा भइया

शासन की मंशा पर पानी फेरते हुए मनरेगा मजदूरों के मुंह से निवाला तक छीना जा रहा है। जी हां गरीब मजदूरों से मनरेगा के अंतर्गत काम करा लिया जाता है और जब मजदूरी देने की बात आती है तो उनसे मजदूरी जल्दी ही मिल जाएगी। इसका बहाना बना दिया जाता है। तभी तो गरीब मजदूर दो साल से मजदूरी का पैसा पाने के लिए प्रधान से लेकर ब्लाक तक का चक्कर काट रहे हैं। लेकिन अभी तक उन्हें मजदूरी नही मिली।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2020 10:38 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 06:08 AM (IST)
अधिकारी हमार मजूरी नाहीं देत अहय, अब उम्मीद छोड़ दिहा भइया
अधिकारी हमार मजूरी नाहीं देत अहय, अब उम्मीद छोड़ दिहा भइया

सांगीपुर : शासन की मंशा पर पानी फेरते हुए मनरेगा मजदूरों के मुंह से निवाला तक छीना जा रहा है। जी हां, गरीब मजदूरों से मनरेगा के अंतर्गत काम करा लिया जाता है, और जब मजदूरी देने की बात आती है तो उनसे मजदूरी जल्दी ही मिल जाएगी। इसका बहाना बना दिया जाता है। तभी तो गरीब मजदूर दो साल से मजदूरी का पैसा पाने के लिए प्रधान से लेकर ब्लाक तक का चक्कर काट रहे हैं। लेकिन अभी तक उन्हें मजदूरी नही मिली।

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हाल है सांगीपुर ब्लाक की ग्राम सभा मुस्तफाबाद का। दैनिक जागरण टीम ने सोमवार को मुस्तफाबाद गांव में मनरेगा की हकीकत खंगाली तो मनरेगा मजदूरी न पाने की बात बताते लाभार्थी की आंख से आंसू टपक पड़े। ग्राम सभा के पुरवे पूरे रैया, पूरे बरबन, पूरे चौहान गांव के तमाम लाभार्थियों को बीते दो साल से मनरेगा की मजदूरी नही मिली है। वहीं पूरा पैसा न मिलने से कुछ के आवास अधूरे पड़े हैं। लाभार्थी एक ही बात दोहराते हैं, प्रधान जी, हर बार आश्वासन देत अहं, हमैं सबके इ बात पता चली अहै कि अधिकारी प्रधान जी के इहै बतावत अहं कि बजट नाहीं बा। अधिकारी पैसा नाहीं देत अहं। अब उम्मीद छोड़ दिहा, लागत आ कि अगली सरकार में हमार सब कै मजूरी मिले।

मेरे पति के नाम आवास है। मजदूरी नहीं मिली। दो साल हो गए, प्रधान के घर का चक्कर लगा रही हूं।

- कलावती मुस्तफाबाद (पूरे बरवन)

भइया अब बहुत मुश्किल बा कि हमार मजदूरी मिलय। दुय साल तो होइ गा। जब पूंछी थे, प्रधान कहत थीं की मिल जाए।

- पुष्पा देवी मुस्तफाबाद (पूरे रैया)

आवास तो बन गया। लेकिन मजदूरी का पैसा आज तक नहीं मिला। अब तो उम्मीद छोड़ चुका हूं।

- भीमसेन सिंह, पूरे चौहान

पति के नाम आवास मिला। आवास बनने में मजदूरी किया। लेकिन मजूदरी का पैसा प्रधान दुइ साल से दबाए बैठा अहय। कहा थी मिली, लेकिन अब उम्मीद नाही बा भइया।

- केश कुमारी (पूरे रैया)

सभी लाभार्थियों की मजदूरी का फार्म भरकर ब्लाक में दिया गया है। धनराशि आते ही सभी के खाते में भेज दिया जाएगा, ऐसा ब्लाक के अधिकारियों द्वारा बताया जा रहा है। जल्दी ही मजदूरी मिल जाएगी।

- विजय बहादुर पटेल, ग्राम प्रधान


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