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अब पत्तों से फिर मिलने लगी रोजगार को हरियाली

थर्माकोल फाइबर तथा प्लास्टिक के दोना और पत्तल बंद हो जाने से गरीब परिवारों की रोजगार की राह खुल गई है। गरीब मुसहरों को हरे पत्तों से उनको रोजगार मिलने लगा है। प्रतापगढ़ जिले के रानीगंज तहसील क्षेत्र के बिग बी अमिताभ बच्चन के पूर्वजों के पैतृक गांव बाबूपट्टी में दर्जनों ऐसे मुसहर परिवार हैं जो गरीबी झेल रहे हैं। थर्माकोल फाइबर तथा प्लास्टिक के दोना पत्तल ने उनका रोजगार छीन लिया था। अब इनके दोना पत्तल बंद होने व दुकानों पर न मिलने से एक बार फिर हरे पत्तों से बने दोना पत्तल की मांग बढ़ गई है। गरीब मुसहरों को रोजगार मिलने के साथ उनकी जिदगी में हरियाली लौट आई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 01:15 AM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 01:15 AM (IST)
अब पत्तों से फिर मिलने लगी रोजगार को हरियाली
अब पत्तों से फिर मिलने लगी रोजगार को हरियाली

धर्मेंद्र मिश्र, रानीगंज : थर्माकोल, फाइबर तथा प्लास्टिक के दोना और पत्तल बंद हो जाने से गरीब परिवारों की रोजगार की राह खुल गई है। गरीब मुसहरों को हरे पत्तों से उनको रोजगार मिलने लगा है। प्रतापगढ़ जिले के रानीगंज तहसील क्षेत्र के बिग बी अमिताभ बच्चन के पूर्वजों के पैतृक गांव बाबूपट्टी में दर्जनों ऐसे मुसहर परिवार हैं, जो गरीबी झेल रहे हैं। थर्माकोल, फाइबर तथा प्लास्टिक के दोना पत्तल ने उनका रोजगार छीन लिया था। अब इनके दोना पत्तल बंद होने व दुकानों पर न मिलने से एक बार फिर हरे पत्तों से बने दोना पत्तल की मांग बढ़ गई है। गरीब मुसहरों को रोजगार मिलने के साथ उनकी जिदगी में हरियाली लौट आई है। मुसहर लोग हरे पत्तों से पत्तल दोना बनाने में जुट गए हैं। शादी विवाह में अब उनकी फिर से अहमियत बढ़ गई है और उनके परिवार का भरण पोषण होने लगा है। बाबूपट्टी गांव की कमला देवी पत्नी पृथ्वी पाल, राजकुमारी, राजदेव मुसहर सहित दर्जनों लोग महुआ और ढाक के पेड़ से हरे पत्ते तोड़कर घर लाते हैं और दोना पत्तल बनाते हैं। इन दिनों हरे पत्तों से बने दोना पत्तल की डिमांड बढ़ गई है। दोना पत्तल बनाने में बच्चों से लेकर पूरा परिवार लगा रहता है। एक दिन में एक व्यक्ति करीब दो सौ दोना पत्तल बना लेते हैं और इसे डिमांड पर देते हैं। यह दोना पत्तल सौ रुपये सैकड़ा में बेचते हैं, जिससे इनकी कमाई हो जाती है। यहां की कमला देवी, राजकुमारी, राजदेव का कहना है कि यह उन लोगों का पुस्तैनी काम था, लेकिन प्लास्टिक के दोना पत्तल ने रोजगार पर बट्टा लगा दिया था। उस समय किसी तरह खर्च चलता था, लेकिन अब प्लास्टिक का दोना पत्तल बंद होने से उन्हें रोजगार मिल गया है। सरकार व न्यायालय का यह निर्णय सही है। प्लास्टिक से बने दोना पत्तल में भोजन करने से बीमारियां फैलती हैं। हरे पत्तों से बने दोना पत्तल में भोजन करने से कोई बीमारी नहीं होती।

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