इस अस्पताल में आना तो छाता जरूर लाना, टपकता है छत से पानी
अगर आप सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरा में इलाज के लिए आ रहे हैं तो भीगने से बचने के लिए घर से छाता लेकर जरूर आएं। वजह यह है कि इस अस्पताल की छत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। हर कोने में बारिश का पानी छत से टपक रहा है।
प्रतापगढ़ : अगर आप सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरा में इलाज के लिए आ रहे हैं तो भीगने से बचने के लिए घर से छाता लेकर जरूर आएं। वजह यह है कि इस अस्पताल की छत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। हर कोने में बारिश का पानी छत से टपक रहा है। चिकित्सक भी भीगते हैं और मरीज भी पानी से बचने कोशिश में इधर से उधर छिपता-फिरता रहता है। हालत यह है कि वर्षों पुरानी इस इमारत की मरम्मत न कराए जाने से छत गिरने का भी खतरा बना है।
सीएचसी गौरा परिसर में दो अलग-अलग भवनों में अस्पताल का संचालन होता है। पुरानी बिल्डिग में ही ओपीडी, दवा, वितरण, लैब, महिला चिकित्सक कक्ष, यूनानी कक्ष, डॉट्स कक्ष, नेत्र परीक्षण कक्ष एवं शल्य चिकित्सा कक्ष है। यहां हर कमरे में अस्पताल की ओपीडी के दौरान मरीजों की भीड़ बनी रहती है। वहीं अस्पताल में तैनात कर्मचारियों द्वारा दवाओं व अभिलेखों को भीगने से बचाने के लिए छत के नीचे पॉलीथिन लगाई गई है। इन्हें सुरक्षित रखना मुश्किल हो गया है। अस्पताल की गैलरी की छत इस कदर जर्जर हो चुकी है कि कब धराशाई हो जाए कोई भरोसा नहीं है। चिकित्सक व कर्मियों के आवासों की छत का भी यही हाल है। अधीक्षक डॉ. ओपी सिंह का कहना है कि इसके लिए स्वीकृत बजट जिला मुख्यालय पर आता है। अस्पताल की पुरानी इमारत की छत जर्जर हो चुकी है, जिसकी मरम्मत कराने के लिए रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गई है। अस्पताल में नई बिल्डिग मरीजों के भर्ती वार्ड, प्रसव कक्ष, दवाई स्टोर रूम, एक्स-रे कक्ष, अधीक्षक कक्ष तथा ऊपरी तल पर कार्यालय, आयुष्मान कक्ष, दवाई स्टोर रूम, वैक्सीन कक्ष, मीटिग कक्ष का संचालन नई इमारत में होता है। ओपीडी, दवा वितरण सहित प्रमुख कार्य पुरानी बिल्डिग में होने से मरीजों, चिकित्सकों व कर्मियों को समस्या झेलनी पड़ रही है। बारिश में छत से पानी टपकने से अस्पताल में हर तरफ पानी भर जाता है।