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बिना संसाधन कैसे संभले यातायात व्यवस्था

बिना संसाधन के जिले की यातायात व्यवस्था कैसे संभलेगी। कुल स्टाफ के सापेक्ष सिर्फर बीस फीसद ही ट्रैफिक पुलिस कर्मी है। ऐसे में होमगार्डों व पीआरडी के जवानों से किसी तरह काम चलाया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 10:55 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 10:55 PM (IST)
बिना संसाधन कैसे संभले यातायात व्यवस्था

संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : बिना संसाधन के जिले की यातायात व्यवस्था कैसे संभलेगी। कुल स्टाफ के सापेक्ष सिर्फर बीस फीसद ही ट्रैफिक पुलिस कर्मी है। ऐसे में होमगार्डों व पीआरडी के जवानों से किसी तरह काम चलाया जा रहा है।

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शहर से होकर प्रमुख हाईवे प्रयागराज-अयोध्या गुजरा है। ऐसे में दिन में शहर में वाहनों का दबाव अधिक रहता है। इसके अलावा शहर में दर्जन भर से अधिक प्रमुख चौराहे हैं। ऐसे में हाईवे और चौराहों पर यातायात व्यवस्था सुचारू करने के लिए ट्रैफिक पुलिस के पास संख्या बल की जरूरत है। यहां यातायात पुलिस में दारोगा का दो पद, दीवान का 12 पद और सिपाही का 35 पद स्वीकृत है। जबकि इस समय सिर्फ एक दरोगा, चार दीवान व पांच सिपाही हैं। ऐसे में संख्या बल न होने के कारण ट्रैफिक पुलिस को यातायात व्यवस्था सुचारू करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। स्टाफ की कमी के कारण यातायात नियमों का पालन कराने में दिक्कतें आ रही हैं।

पुलिस कर्मियों की कमी के कारण होमगार्डों व पीआरडी के जवानों से काम चलाया जा रहा है। 45 होमगार्ड और 35 पीआरडी के जवानों की रोज ड्यूटी चौराहों व तिराहों पर लगाई जा रही है। यही होमगार्ड व पीआरडी के जवान गाड़ियों को रोकने और जाने का सिग्नल देते हैं। होमगार्ड व पीआरडी के जवान ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की तरह दक्ष नहीं होते हैं। इसलिए यातायात व्यवस्था को सुचारू करने में ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

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चौराहों पर नहीं लगा है ट्रैफिक सिग्नल

शहर में चौक के अलावा राजापाल टंकी चौराहा, मीराभवन चौराहा, ट्रेजरी चौराहा, गाजी चौराहा, भंगवा चुंगी चौराहा, सदर मोड़ चौराहा, कंपनी बाग तिराहा, श्रीराम तिराहा, चिलबिला तिराहा है। इसमें से किसी भी चौराहे पर ट्रैफिक का सिग्नल नहीं लगा है। ऐसे में वाहनों को रोकने व रवाना करने के लिए ट्रैफिक पुलिस कर्मियों, होमगार्डों व पीआरडी के जवानों को हाथ से सिग्नल देना पड़ता है। टीएसआइ नरेंद्र सिंह ने बताया कि चौराहों व तिराहों पर ट्रैफिक सिगनल लगाने के लिए पिछले वर्ष शासन को प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली है।

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स्कूलों से मांग रहे हैं मदद

सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए बैरियर आदि की जरूरत पड़ती है। बैरियर की कमी है, ऐसे में स्कूल के प्रबंधकों व प्रधानाचार्यों से यातायात पुलिस कर्मी बैरियर बनवाने की अपील कर रहे हैं। वही बैरियर स्कूल के दोनों ओर 50-50 मीटर पहले लगाए जाएंगे। बैरियर देखने पर वाहन सवार गाड़ी की रफ्तार कम कर देते हैं। इस बीच यातायात निदेशालय से 48 बैरियर ट्रैफिक पुलिस को उपलब्ध कराया गया है।

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घर बैठे मिल रहा ड्राइविग लाइसेंस

संसू, प्रतापगढ़ : ड्राइविग लाइसेंस बनवाने के नियमों में सड़क परिवहन विभाग ने काफी सहूलियत और छूट दी है. अब ऑनलाइन आवेदन करने के बाद एक महीने का लर्निंग लाइसेंस बनता है. एक महीने के बाद दोबारा आने के लिए एक डेट तय की जाती है. उस तिथि पर जाने पर कुछ जांच पड़ताल के बाद स्थाई लाइसेंस जारी कर दिया जाता है. यह लाइसेंस आवेदक के घर पर डाक विभाग के माध्यम से भेजा जाता है.

सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी सुशील कुमार मिश्रा बताते है कि ड्राइविग लाइसेंस के लिए अब बार-बार कार्यालय आने की जरूरत नहीं पड़ती। आवेदन करने के बाद आगे की प्रक्रिया के बारे में विभाग ऑनलाइन जानकारी देता रहता है. आवेदन करने के लिए आयु प्रमाण पत्र के रूप में हाईस्कूल का प्रमाण पत्र या बीमा का कोई कागजात जमा कर सकते है. पते के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी जैसे विकल्प दिए जाते है.

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यह आती है मुश्किल

ड्राइविग लाइसेंस बनवाने का पूरा काम सर्वर पर आधारित होता है। कभी कभी तो कई दिनों तक सर्वर नहीं चलता और लोगों को लाइसेंस नहीं मिल पाता है। इसके अलावा अब लाइसेंस बनने में किसी प्रकार की समस्या नहीं आ रही है।


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