बाजार पर जीएसटी की मार, व्यापारी परेशान
जासं, प्रतापगढ़ : दीपावली आते ही बाजार बूम-बूम करता है। बाजारों में चहल पहल बढ़ जाती है।
जासं, प्रतापगढ़ : दीपावली आते ही बाजार बूम-बूम करता है। बाजारों में चहल पहल बढ़ जाती है। मगर इस बार ऐसा नजारा नहीं है। बाजारों में रौनक कम है तो व्यापारी जीएसटी से पैदा हुई महंगाई की वजह से कारोबार मंदा होने का रोना रो रहे हैं।
दीपावली में ज्यादातर खरीददारी धनतेरस को ही की जाती है। इस दिन लोग खासकर नए वाहन, कपड़े, बर्तन, आभूषण व इलेक्ट्रानिक सामान की खरीददारी ज्यादा होती है। लेकिन जीएसटी की वजह से कपड़े, गहनें, इलेक्ट्रिक सामानों के दाम काफी बढ़े हैं। इसको लेकर जिले के व्यापारी परेशान हैं। चौक के पास कपड़ा व्यवसायी रवि अग्रवाल बताते हैं कि जीएसटी लागू होने से इस बार दीपावली का त्यौहार पूरी तरह से फीका हो गया है। दुकानों पर ग्राहक नहीं दिख रहे हैं। इसके पहले तो दीपावली के त्यौहार पर दुकानों पर ग्राहकों की इस कदर भीड़ होती थी कि दुकान से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता था। त्यौहार के कई दिन पहले ही ग्राहकों की भीड़ होनी शुरु हो जाती थी। यहीं सराफा व्यवसायी सचिन कुमार केसरवानी बताते हैं कि इस बार ग्राहक बहुत कम आ रहे हैं। अब धनतेरस पर ही सारी उम्मीदें टिकी हैं। जीएसटी की वजह से कारोबार काफी प्रभावित हुआ है।
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एंटिक ज्वैलरी की है डिमांड
प्रतापगढ़ : दीपावली के त्यौहार पर इस बार ज्यादातर एंटिक गहनों की खरीददारी कर रही हैं। चांदी के नोट, डालर चांदी , फैंसी पायल, चांदी के सिक्के व कछुए की अंगूठी की ज्यादा मांग है। सर्राफा व्यवसायी राजेंद्र केसरवानी बताते हैं कि जो ग्राहक आ रहे हैं, उनमें इन चीजों की डिमांड है। हालांकि जीएसटी से कारोबार बुरी तरह प्रभावित है।
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स्वास्तिक झालरों की है धूम
प्रतापगढ़ : दीपावली के त्यौहार पर इस बार स्वास्तिक झालरों की अधिक मांग है। इलेक्ट्रिक सामानों के बिक्रेता अनिल कुमार केसरवानी बताते हैं कि बाजारों में इलेक्ट्रानिक की दुकानों पर माडल, डिजाइनर, चाइनीज, गणेश, ओम, लालटेन झालरों का प्रचलन इस बार अधिक है है। लेकिन जीएसटी लागू होने से बिजली कारोबारियों के व्यवसाय पर काफी फर्क पड़ा है। फिलहाल दुकानों पर ग्राहकों की विशेष भीड़ देखने को नहीं मिल रही है। इसको लेकर व्यापारी परेशान हैं।
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तीस साल पहले ही दिन अच्छे थे..
हम लोगों के समय में इस तरह की दीपावली का प्रचलन नही था। परिवार के लोग इकट्ठे होकर एक दूसरे के घर जाकर बड़े बुजुर्गो का आशीर्वाद लेते थे। लोग मिट्टी के दिए में देशी घी के दिए जलाते थे। गरीबी होने के बावजूद त्यौहार में काफी उत्साह रहता था। लेकिन अब वह नहीं है। लोग अपने घरों में त्यौहार मना लेते हैं। अब तो न ही लोगों का कोई प्रेम दिख रहा है न ही त्यौहार को लेकर कोई उत्साह। तीस साल पहले के ही दिन अच्छे थे।
- श्याम दुलार शर्मा, उम्र 69 वर्ष, दांदूपुर मुफरिद प्रतापगढ़।