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जिंदगी की जंग लड़ने चले मुंबई, फिर मिलेंगे... प्रतापगढ़ के चार हजार लोग मुंबई में चलाते हैं टैक्सी

लॉकडाउन में मुंबई से टैक्सी और आटो लेकर गांव आए करीब चार हजार चालक अब जिंदगी की जिद्दोजहद से निकलकर कमाने के लिए मुंबई लौटने लगे हैैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 08:39 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 07:20 AM (IST)
जिंदगी की जंग लड़ने चले मुंबई, फिर मिलेंगे... प्रतापगढ़ के चार हजार लोग मुंबई में चलाते हैं टैक्सी
जिंदगी की जंग लड़ने चले मुंबई, फिर मिलेंगे... प्रतापगढ़ के चार हजार लोग मुंबई में चलाते हैं टैक्सी

प्रतापगढ़ [आशुतोष तिवारी]। कोरोना महामारी आई तो लॉकडाउन में सब कुछ ठहर गया। लग रहा था कि कोरोना वायरस जल्दी चला जाएगा तो फिर सब पटरी पर आ जाएगा, लेकिन कोरोना ठहर जैसा गया है। अब जिंदगी तो ठहर नहीं सकती, सो फिर चलने की ओर बढ़ चली है। लॉकडाउन में मुंबई से टैक्सी और आटो लेकर गांव आए करीब चार हजार चालक अब जिंदगी की जिद्दोजहद से निकलकर कमाने के लिए मुंबई लौटने लगे हैैं। कुछ मुंबई पहुंच गए हैैं तो ज्यादातर वहां का हाल लेकर जाने की तैयारी में हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो यहीं जमने की जुगत में हैं।

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जिले के उड़ैयाडीह के बक्शी डीह गांव के इमरान वापस 25 जून को वापस मुंबई पहुंच गए। फोन पर उन्होंने बताया कि दो महीने पहले लॉकडाउन में गांव गए थे। गांव में ढंग का काम नहीं था। वैसे भी मुंबई लौटना ही था, क्योंकि अपनी चार टैक्सियां पार्किंग में खड़ी कर गांव गए थे। बाबा बेलखरनाथ धाम ब्लाक क्षेत्र के सरखेलपुर के मो. शरीफ का मुंबई में टैक्सियों का जमा जमाया काम है। औरों के साथ वह भी गांव आ गए, लेकिन मन मुंबई में ही अब भी लगा है, क्योंकि उनकी कई टैक्सी वहीं हैं। वह बकरीद बाद जाएंगे। साथ आई दो टैक्सी लेकर उनके दोनों साथी रानीगंज तहसील के धनुहा गांव के अयूब और पट्टी के तेरहमील के पप्पू यादव पिछले सप्ताह मुंबई पहुंच गए।  

मो. शरीफ की टैक्सियां लोन पर हैं, इसलिए सतर्कता के साथ कोरोना से लड़ेंगे भी और आगे बढ़ेंगे भी। पट्टी के विजय बारी अपनी टैक्सी से 26 जून को मुंबई पहुंचे। सांताक्रूज में कोरोना संक्रमण ज्यादा होने के कारण अपने कमरे में बंद हैैं। फोन पर बातचीत में बताया कि घरवाले रोज फोन करके वापस बुला रहे हैैं, लेकिन वह ट्रेनें चलने पर सवारियां मिलने के इंतजार में रुके हैैं। बाकी अब सिद्धि विनायक ही कुछ रास्ता सुझाएंगे।

मुंबई जाने को ये भी तैयार  

बाबाबेलखरनाथ धाम ब्लाक के दुखियापुर गांव के सुरेश पांडेय, रमेश पांडेय, शारदा पांडेय एवं दिनेश पांडेय मुंबई में टैक्सी चलाते थे। तीन महीने पहले गांव लौट आए हैं। कहते हैैं कि मुंबई से टैक्सी लाने में पंद्रह हजार रुपये खर्च हो गए। वापसी में भी इतना ही खर्च होना है। यहां कुछ भी नहीं हो रहा है। मुंबई की हालत ठीक होने के इंतजार में हैैं। वापस जाने के अलावा कोई चारा भी नहीं है।


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