गोदाम बने हैं शौचालय, दरवाजे टूटे, गढ्डों में कचरा
स्वच्छ भारत मिशन के तहत आधे-अधूरे शौचालय बनाकर जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया। अब उसी अधूरे शौचालयों को उपली व लकड़ी रखने का गोदाम बना लिया है।
प्रतापगढ़ : स्वच्छ भारत मिशन के तहत आधे-अधूरे शौचालय बनाकर जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया। अब उसी अधूरे शौचालयों को उपली व लकड़ी रखने का गोदाम बना लिया है। शौचालय का निर्माण पूरा न ोने से लोग खुले में शौच करने करने को मजबूर हैं। अधिकारियों को भी इसकी जानकारी है, लेकिन वह भी इस ओर कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।
कुंडा ब्लाक के रहवई गांव के मकोइया मजरे में बने शौचालयों की पड़ताल करने शनिवार को दैनिक जागरण की टीम पहुंची। गांव में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 262 शौचालय बनाने का लक्ष्य था। आधे-अधूरे शौचालय बनाकर कोरम पूरा कर लिया गया। गांव में बने अधूरे शौचालय का लोग उपली रखने में इस्तेमाल कर रहे हैं। कई शौचालयों में गड्ढा ही नहीं बनाया गया। निर्माण होने के कुछ ही दिन बाद दरवाजे भी टूट गए। कई ग्रामीणों ने शौचालय का पैसा हजम करने का भी आरोप लगाया। ग्रामीणों के अनुसार जब शौचालय पूरा नहीं बनाया गया इसलिए हम लोग उसमें लकड़ी आदि सामान रख रहे हैं। जब तक शौचालय पूरा नहीं बन जाएगा, खुले में शौच करना मजबूरी है।
जागरण की खबरों का असर
स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण कराने में हुई मनमानी पर अफसरों ने सख्त कदम उठाया है। योजना के तहत जितना पैसा ग्राम पंचायतों के खाते में भेजा गया, उसका किस तरह उपयोग किया गया। इसकी जांच के लिए सचिवों व एडीओ पंचायतों से विवरण मांगा गया है। इससे मनमानी पकड़ में आएगी। इसमें कई कर्मी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं। दैनिक जागरण ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने आधे-अधूरे शौचालयों की हकीकत दिखानी शुरू की तो हाल ही में आए डीपीआरओ रविशंकर द्विवेदी भी सक्रिय हो गए। स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत जिले भर में करीब तीन लाख 74 हजार शौचालय बनाने का लक्ष्य था। इसमें पहली किश्त के रूप में 10 हजार के हिसाब से करोड़ों रुपये ग्राम पंचायत के खाते में भेजा गया। ग्राम पंचायतों ने पैसा बचाने के चक्कर में पहली किश्त की आधी व उससे कुछ अधिक रकम देकर शौचालय बनवाया। फर्म ने भी पैसे की कटौती करते हुए आधे-अधूरे शौचालय बनवा दिए। अधिकांश शौचालय ग्राम पंचायत के माध्यम से ही बनाया गया। शौचालय का निर्माण बिना पूरा कराए जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया। डीपीआरओ के मुताबिक सभी ग्राम पंचायतों के बैंक खाते का विवरण मांगा है। इससे मनमानी पकड़ में आएगी।