अग्निशमन विभाग ने मेडिकल कालेज की फाइल पर की आपत्ति
प्रतापगढ़ : दूध का जला छाछ भी फूंककर पीता है। कुछ इसी तरह सतर्क है जिले का अग्निशमन विभाग।
प्रतापगढ़ : दूध का जला छाछ भी फूंककर पीता है। कुछ इसी तरह सतर्क है जिले का अग्निशमन विभाग। शहर में हो चुके कई अग्निकांडों के मद्देनजर वह बड़ी इमारतों को एनओसी देने के पहले मानकों की बारीकी से पड़ताल कर रहा है। उसने इसी सिलसिले में प्रस्तुत हुई राजकीय मेडिकल कालेज की फाइल पर आपत्ति की है।
केंद्र व प्रदेश सरकार के प्रयास से जिले को मेडिकल कालेज की सौगात मिली। इसे दो फेज में बनाया जाना है। पहला फेज गायघाट रोड पर कालेज का है, जहां 100 सीटों पर मेडिकल कोर्स की पढ़ाई होगी। प्रयोगशाला भी बनेगी। दूसरा भाग जिला महिला, पुरुष अस्पताल व क्षय रोग अस्पताल को मिलाकर 500 बेड के अस्पताल की शक्ल में होगा। दोनों इमारतें कई मंजिल की होंगी। कुछ छह तो कुछ आठ मंजिल की ऊंचाई तक बनेंगी।
शासन के निर्देश पर सीएमएस डा. योगेंद्र यति ने अग्निशमन विभाग को नो आब्जेक्शन प्रमाणपत्र जारी करने के लिए आवेदन किया था। विभाग ने आवेदन में कई कमियां पाते हुए एनओसी नहीं दी है। यह आवेदन मैनुअल था। साथ ही आठ मंजिल की इमारत में आग लगने पर उसे बुझाने का संसाधन भी विभाग के पास नहीं है। इसके लिए जापानी तकनीक की हाइड्रोलिक मशीन चाहिए, जो प्रतापगढ़ जैसे छोटे शहर को मिलना इतना आसान नहीं है। इस बारे में सीएमएस का कहना है कि आनलाइन आवेदन करने को कहा गया है। इसी तरह किया जाएगा।
मुख्य अग्निशमन अधिकारी महेंद्र प्रसाद का कहना है कि एनओसी के लिए आई स्वास्थ्य विभाग की पत्रावली रोक दी गई है। सीएमएस से कहा गया है कि आनलाइन आवेदन करें। साथ ही स्पष्ट करें कि वह अपने स्तर से आग से बचाव के क्या इंतजाम इमारत में रखेंगे।