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बैंक से ऋण वसूली के दबाव से किसान की मौत

ऋण माफी योजना का लाभ ना मिल पाने से परेशान भैंसाना गांव निवासी भैयाराम मौर्य बैंक से नोटिस मिलने के बाद सदमे में चला गया। उसे गंभीर हालत में प्रयागराज स्थित स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में मंगलवार को भर्ती कराया गया जहां पर उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। इस मौत के बाद से गांव में कोहराम मचा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 10:53 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 06:06 AM (IST)
बैंक से ऋण वसूली के दबाव से किसान की मौत

संसू, बाबागंज, प्रतापगढ़: ऋण माफी योजना का लाभ ना मिल पाने से परेशान एक किसान बैंक से नोटिस मिलने के बाद सदमे में चला गया। उसे गंभीर हालत में प्रयागराज स्थित स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में मंगलवार को भर्ती कराया गया, जहां पर उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। इस मौत के बाद से गांव में कोहराम मचा है।

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जिले की कुंडा तहसील क्षेत्र के भैसाना गांव निवासी भैयाराम मौर्य (62) ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की राजापुर शाखा से किसान क्रेडिट कार्ड पर पच्चीस हजार का ऋण लिया था। उसको उम्मीद थी कि सरकार द्वारा चलाई गई ऋण माफी योजना में उसका ऋण माफ हो जाएगा। इस बाबत उन्होंने दिसंबर 2017 में जिला कृषि अधिकारी के यहां पत्र लिखकर योजना में नाम डलवाकर अपने ऋण माफी के लिए गुहार भी लगाई थी, लेकिन उनका ऋण माफ नहीं हुआ और न ही इस बाबत उनको कोई जानकारी बैंक या कृषि विभाग द्वारा दी गई। करीब एक सप्ताह पहले उनके घर पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कर्मी गए और भइयाराम की अनुपस्थिति में उनकी पत्नी कमला देवी से बकाया जमा करने के लिए बैंक आने को कहा। कमला देवी का कहना है कि जब से बकाए की जानकारी भइया राम को हुई तब से वह चिता ग्रस्त रहने लगे। वह हर समय बकाया जमा करने की सोचने लगे। इसी बीच मंगलवार की सुबह उनकी तबियत अचानक खराब हो गई। परिजनों ने समझा कि उनको ठंड लग गई और उनको इलाज के लिए सीएचसी महेशगंज लेकर भागे। वहां चिकित्सकों ने बताया कि उनको दिल का दौरा पड़ा है, उन्हें तुंरत कुंडा रेफर कर दिया। हालत नाजुक होने पर उनको वहां से मंगलवार की रात प्रयागराज स्थित स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल रेफर कर दिया गया। प्रयागराज में बुधवार की शाम इलाज के दौरान अस्पताल में किसान की मौत हो गई और गांव में हड़कंप मच गया। वहां से गुरुवार को किसान का शव श्रृंग्वेरपुर घाट पर लाया गया और अंत्येष्टि कर दी गई। इस घटना के बाद रोती बिलखती किसान की पत्नी को सभी समझाने-बुझाने का प्रयास करते रहे। वहीं पत्नी कमला देवी का कहना था कि इससे पहले उसके पति कभी बीमार नहीं पड़े थे। इलाज के लिए ले जाते समय भी वह बार-बार कह रहे थे कि यदि मुझे पता होता कि मेरा कर्ज माफ नहीं हुआ है, तो मैं धीरे-धीरे सारा बकाया जमा कर देता। भइया राम की असमय मौत से परिजनों में कोहराम मचा हुआ है। इस मामले में कुंडा एसडीएम जल राजन चौधरी का कहना है कि इस तरह के हादसे में कोई आर्थिक मदद करने का प्रावधान नहीं है। कर्ज क्यों माफ नहीं हुआ, इसको संबंधित विभाग या बैंक वाले ही बता सकतें हैं। वहीं जिला कृषि अधिकारी अश्वनी कुमार सिंह का कहना है कि प्रदेश सरकार ने 19 सितंबर 2019 को शासनादेश जारी कर ऋण माफी योजना को बंद करा दिया था, जबकि किसान ने दिसंबर में ऋण माफी के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। इस वजह से किसान को ऋण माफी योजना का लाभ नहीं मिल सका।

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खेती ही है सहारा, बड़े बेटे की हो चुकी है मौत

संसू,कुंडा: भइया राम के जीविकोपार्जन के लिए महज खेती ही सहारा थी। उनके दो बेटे थे। बड़े बेटे कमलेंद्र मौर्य की मौत दो साल पहले ही सड़क दुर्घटना में हो चुकी है। ऐसे में गांव में भइया राम ही पत्नी कमला, बड़ी बहु सुनीता और उसके तीन बच्चों शुभम, शिवम और खुशी के साथ रहते थे।अब किसान भइया राम की मौत के बाद पहले ही पति के साए वंचित हो चुकी उसकी बहु सुनीता और उनके बच्चे अअ एकदम अनाथ हो गए। किसान का छोटा पुत्र अमित मौर्य अपनी पत्नी अनिता और दो बच्चों के साथ कानपुर में ऑटो चलाकर किसी तरह जीविकोपार्जन करता है।


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