गो-आश्रय केंद्रों पर अव्यवस्थाओं का बोलबाला
जिले में खोले गए गो आश्रय केंद्रों में अव्यवस्था का बोलबाला है। इनमें गो वंश को ठंड से बचाने के इंतजाम न होने से ठंड गोवंश ठिठुर रहे हैं। पिछले तीन-चार दिनों से पड़ रही कड़ाके की ठंड बेजुबानों पर भी भारी पड़ रही है। प्रधानों के खाते से बाहर होते ही गो संरक्षण केंद्रों पर व्यवस्था चरमरा गई है। जिले के 54 गो संरक्षण केंद्रों पर सात हजार 665 गो वंश रखे गए हैं। इनकी देखभाल के लिए अब तक 2.65 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इसके बावजूद गो वंशों को ठंड से बचाने के इंतजाम नहीं किए गए। प्रधानों का खाता बंद होने से वह निष्क्रिय हो गए।
संसू, प्रतापगढ़ : जिले में खोले गए गो आश्रय केंद्रों में अव्यवस्था का बोलबाला है। इनमें गो वंश को ठंड से बचाने के इंतजाम न होने से ठंड गोवंश ठिठुर रहे हैं। पिछले तीन-चार दिनों से पड़ रही कड़ाके की ठंड बेजुबानों पर भी भारी पड़ रही है। प्रधानों के खाते से बाहर होते ही गो संरक्षण केंद्रों पर व्यवस्था चरमरा गई है। जिले के 54 गो संरक्षण केंद्रों पर सात हजार 665 गो वंश रखे गए हैं। इनकी देखभाल के लिए अब तक 2.65 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इसके बावजूद गो वंशों को ठंड से बचाने के इंतजाम नहीं किए गए। प्रधानों का खाता बंद होने से वह निष्क्रिय हो गए।
एडीओ पंचायत व व वीडीओ को गो संरक्षण केंद्रों के संचालन की जिम्मेदारी दी गई है। उनके पास कई ग्राम पंचायतों का कार्य होने के चलते वह गो आश्रय केंद्रों की देखरेख नहीं कर पा रहे हैं। इससे व्यवस्था चरमरा गई है। दैनिक जागरण ने गो संरक्षण केंद्रों पर अव्यवस्था को लेकर अभियान शुरू किया है। शनिवार लालगंज क्षेत्र के सांगीपुर में स्थित गो संरक्षण केंद्र की हकीकत खंगाली गई।
लालगंज प्रतिनिधि के अनुसार कड़ाके की ठंड में गौ-आश्रय केंद्रों पर अव्यवस्थाओं का आलम है। सहारा देने के नाम पर बेसहारा मवेशियों को गो-आश्रय केंद्रों पर रखने के बाद जिम्मेदार लापरवाही बरतते नजर आ रहे हैं। यही नहीं इन केंद्रों पर मवेशियों के बच्चे भी ठंड में खुले आसमान के नीचे तड़पने को मजबूर हैं। हकीकत खंगालने दैनिक जागरण टीम शनिवार को तहसील लालगंज क्षेत्र के सांगीपुर स्थित गौ-आश्रय केंद्र श्रीपुर शुकुलपुर पहुंची। यहां पर बेसहारा मवेशियों के साथ अव्यवस्थाओं का बोलबाला मिला। इस केंद्र पर कुल मवेशियों की संख्या 119 बताई गई। इस कड़ाके की ठंड में कुल संख्या के आधे से कम मवेशियों को ही टिनशेड के नीचे रखने की व्यवस्था दिखी। अधिकतर मवेशी व उनके बच्चे ठंड में खुले आसमान के नीचे रखे गए थे। वहीं मवेशियों की देखरेख व साफ सफाई को लेकर दो कर्मचारी राजेश व प्रदीप मौजूद मिले। मवेशियों के स्वास्थ्य परीक्षण को लेकर पशु चिकित्साधिकारी डॉ. नरोत्तम सिंह सप्ताह में दो तीन बार केंद्र पहुंचते हैं। इस केंद्र पर मवेशियों के लिए चारा पानी की व्यवस्था तो ठीक दिखी, लेकिन खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर मवेशियों के लिए समुचित अलाव की व्यवस्था नहीं दिखी। निवर्तमान प्रधान अमिताभ शुक्ल के अनुसार मवेशियों के लिए चारा भूसा देने के लिए जिसे टेंडर दिया गया है। उसकी लापरवाही के चलते अक्सर भूसा समाप्त होने के बाद एक दो दिन समस्या बनी रहती है। यही नहीं निवर्तमान प्रधान की मानें तो बजट की अव्यवस्था के चलते मवेशियों को खुले आसमान के नीचे रहना पड़ रहा है। खुद का पैसा लगाकर ही व्यवस्था बनाई गई है। शिकायत पर कोई सुनने वाला नहीं है। इस संबंध में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. विजय प्रताप सिंह का कहना है कि संरक्षण केंद्रों की मांग पर पैसे का भुगतान किया जाता है। एसडीएम और बीडीओ की निगरानी में गो संरक्षण केंद्र चल रहे हैं। उन्हें चारा भूसा व ठंड से बचाव के इंतजाम करना चाहिए।