जेल में भाई से नहीं हुई मुलाकात, निराश होकर लौटी बहनें
कोरोना संक्रमण के कारण जेल में भाई से मुलाकात नहीं होने पर बहनें निराश होकर लौट गई। जेल प्रशासन ने बहनों की बात भाई से इंटरकाम पर काम कराया। बात पूरी न होने पर कुछ बहनों ने चिट्ठी लिखकर भाई को भेजा।
संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : कोरोना संक्रमण के कारण जेल में भाई से मुलाकात नहीं होने पर बहनें निराश होकर लौट गई। जेल प्रशासन ने बहनों की बात भाई से इंटरकाम पर काम कराया। बात पूरी न होने पर कुछ बहनों ने चिट्ठी लिखकर भाई को भेजा।
कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण 24 मार्च को रात 12 बजे से लॉकडाउन घोषित किया गया था। इसके बाद से जेल में बंद बंदियों की स्वजनों व परिचितों से मुलाकात पर जेल प्रशासन ने रोक लगा दी थी। 25 मार्च से अब तक किसी बंदी से जेल में उनके स्वजन नहीं मिल सके हैं। मुलाकात पर रोक लगाने का मुकसद कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकना है। वैसे में भी इस समय 458 की क्षमता की अपेक्षा 1183 बंदी जेल में बंद है।
मुलाकात पर रोक को रक्षाबंधन के पर्व पर भी जारी रखा गया। जेल में बंद भाइयों को राखी बांधने के लिए सोमवार सुबह से ही बहनें जेल के बाहर जुटने लगी थी। करीब दो दर्जन से अधिक बहनें आईं थी। उन्हें जब यह मालूम हुआ कि जेल में बंदियों से मुलाकात पर रोक है। ऐसे में किसी भी बहन को जेल में प्रवेश नहीं मिलेगा। अगर बात करनी है तो इंटरकाम पर अपने भाई से बात कर सकती हैं।
फिर जिन बंदियों से मिलने बहनें आईं थी, उनका नाम नोट किया गया। फिर उन्हीं बंदियों को जेल के अंदर मुख्य गेट पर लाया गया। फिर जेल के बाहर रहीं बहनों को बारी-बारी से इंटरकाम पर उनके भाई से बात कराई गई। बात करने के लिए सिर्फ दो मिनट का समय दिया गया था। ऐसे में कुछ बहनों की बात भाई से पूरी नहीं हो सकी। इस पर उन्होंने भाई के नाम चिट्ठी लिखकर गेट पर रहे बंदी रक्षक को दी। फिर मिठाई व राखी लेकर बहनें निराश होंकर लौंट गईं।
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-शासन का निर्देश था कि जिसे भी जेल के बंदी को राखी भेजनी है, वह एक अगस्त तक भेज दें। इसके बाद किसी की राखी नहीं ली जाएगी। एक अगस्त तक पांच बंदियों की राखी आई थी। उसे सेनेटाइज करके आज संबंधित बंदी को दे दिया गया। बंदी से जेल के अंदर मुलाकात पर रोक है-
डॉ. आरपी चौधरी, जेलर