जिले में बदलते रहे कप्तान, चुनौती जस की तस
अपराध पर अंकुश न लगने पर यहां एसपी दर एसपी बदलते रहे। तीन साल में जिले में सात एसपी बदल गए। वहीं बदमाशों की चुनौती जस की तस है।
संसू, प्रतापगढ़ : अपराध पर अंकुश न लगने पर यहां एसपी दर एसपी बदलते रहे। तीन साल में जिले में सात एसपी बदल गए। वहीं बदमाशों की चुनौती जस की तस है।
तेजतर्रार छवि के एसपी शगुन गौतम का यहां से 18 मार्च 2018 को तबादला हुआ तो कमान संतोष सिंह को सौंपी गई। उनके कार्यकाल में लूट, हत्या की घटनाएं थमी नहीं। इस पर 16 जुलाई 2018 को शासन ने उन्हें निलंबित करके आइपीएस देवरंजन वर्मा को तैनात किया। उनके आते ही हफ्ते भर बाद रंगदारी न देने पर कोहंड़ौर के व्यापारी भाइयों की हत्या करके पूरे जिले को दहला दिया था। इनके कार्यकाल में रंगदारी मांगने के मामले थमे नहीं। हालत तो यह हो गई थी कि अमरगढ़ के व्यापारी कृष्ण कुमार वैश्य बदमाशों के डर से सितंबर 2018 में परिवार सहित जिले से पलायन कर रहे थे। उन्हें शहर में रोककर एसपी ने घर तक पहुंचाकर उन्हें सुरक्षा कर्मी मुहैया कराया था।
अपराध पर अंकुश न लगने पर 27 नवंबर को एसपी देवरंजन वर्मा को हटाकर तेजतर्रार एस आनंद को यहां भेजा गया। उनके कार्यकाल में जेल के वार्डर, मार्बल व्यवसायी राजेश सिंह व अधिवक्ता ओम मिश्रा और सेक्रेटरी के बेटे कुलदीप पांडेय की हत्या हुई थी। इस पर उन्हें 15 जुलाई 2019 को हटाकर एसटीएफ के एसपी अभिषेक सिंह को तैनात किया गया। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के कार्यकाल में घटनाओं पर कुछ अंकुश लगा। इसी बीच 16 अगस्त को अभिषेक का तबादला बागपत करके यहां एसपी अनुराग आर्य को भेजा गया। चार महीने बाद तबादला करके एसपी शिवहरि मीना को तैनात किया गया। इनके आते ही अपराध की बाढ़ सी आ गई है। इस तरह से कप्तान बदले, बदमाशों पर दबाव भी बना, मगर अभी भी स्थितियां जस की तस है।