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लड़ने-लड़ाने का गणित बिगाड़ सकता है चक्रानुक्रम आरक्षण

धीरे-धीरे ही सही पंचायत चुनाव की सरगर्मी बढ़ रही है। इसमें चुनाव मैदान में उतरने वाले व दूसरों को उतारने वाले दोनों सतर्क हैं। वह समाज में अपनी पकड़ बढ़ाते हुए इस बात पर नजर बनाए हुए हैं कि इस बार सीटों का परिसीमन व चक्रानुक्रम आरक्षण क्या तस्वीर बनाता है। उनके पसंद की सीट का क्या स्वरूप बनता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 10:10 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 10:10 PM (IST)
लड़ने-लड़ाने का गणित बिगाड़ सकता है चक्रानुक्रम आरक्षण
लड़ने-लड़ाने का गणित बिगाड़ सकता है चक्रानुक्रम आरक्षण

जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : धीरे-धीरे ही सही, पंचायत चुनाव की सरगर्मी बढ़ रही है। इसमें चुनाव मैदान में उतरने वाले व दूसरों को उतारने वाले दोनों सतर्क हैं। वह समाज में अपनी पकड़ बढ़ाते हुए इस बात पर नजर बनाए हुए हैं कि इस बार सीटों का परिसीमन व चक्रानुक्रम आरक्षण क्या तस्वीर बनाता है। उनके पसंद की सीट का क्या स्वरूप बनता है।

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इस बार प्रतापगढ़ में 1207 सीटों पर प्रधान का चुनाव होगा। निर्वाचन आयोग ने इस बार पंचायत चुनाव के पहले चक्रानुक्रम आरक्षण पर जोर दिया है। इससे खासकर महिला अनुसूचित सीटों का हुलिया बदल सकता है। जहां जो सीट थी, वह इस बार नहीं होगी। ऐसे में लड़ाके इस बात को तय नहीं कर पा रहे हैं कि कैसे लड़ा जाए। दूसरी ओर किग मेकर भी नई चुनौती के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। उनका प्लान नई बनने वाली सीटों का गणित बिगड़ सकता है। इन दिनों अघोषित तौर पर जिले में परिसीमन पर तेजी से काम हो रहा है। प्रशासन के स्तर पर पंचायत चुनाव की तैयारियां जोर पकड़ रही हैं। मतदाता सूची को अंतिम रूप देने के बाद आयोग सीटों का नया स्वरूप भी पेश कर देगा। ऐसे में गांवों में इस बात पर चर्चा हो रही है कि कौन सा गांव आरक्षित होगा और कौन सा पहले जैसा ही रहेगा। लोग अपने-अपने कयास लगा रहे हैं। इस बारे में डीपीआरओ रवि शंकर द्विवेदी से बात की गई तो वह कहने लगे कि निर्वाचन आयोग व शासन के निर्देश के अनुसार परिसीमन का कार्य कराया जाएगा। इसमें पूरी पारदर्शिता रखी जाएगी।

आबादी होता है आधार : चक्रानुक्रम आरक्षण में मुख्य आधार आबादी होती है। पांच साल में किस गांव की आबादी कितनी बढ़ी, किस ब्लाक की आबादी कितनी बढ़ी इस पर मंथन किया जाता है। उसी के अनुसार ग्राम पंचायत, प्रधान, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत की सीटों का आरक्षण तय किया जाता है।

युवाओं में इलेक्शन क्रेज : इस बार का चुनाव युवाओं के जुडऩे से और जोरदार होने की आशा है। लाकडाउन में घर पर रहे युवा चुनाव को लेकर होमवर्क करते रहे। उन्होंने गांव की राजनीति को ठीक से समझा। कौन दोस्त है, कौन विरोधी इसे जाना। किसको मनाना है, किसको पूछना नहीं है इस बारे में बुजुर्गों से समझा। वह इस चुनाव में किस्मत आजमाने के बारे में तैयारी कर रहे हैं।

हमदर्दी की लगी होड़ : चुनाव को नजदीक देख दावेदारों में सेवा भाव हिलोर मार रहा है। वह अपनी गाड़ी से मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में जुट जाते हैं। उनकी दवा करा रहे हैं। उनकी सेवा कर रहे हैं और अपने पैसे से दवाएं भी दिला दे रहे हैं। यही नहीं किसी के निधन पर अंतिम संस्कार की व्यवस्था में सहयोग बिना मांगे दे रहे हैं। उनको लगता है कि ऐसा करने से वह अधिक समर्थन व वोट पा सकेंगे। मतदाता सूची छापने का टेंडर हथियाने की होड़

जासं, प्रतापगढ़ : जिले में पंचायत चुनाव में जो होगा, होगा यहां तो मतदाता सूची को छापने पर ही जंग छिड़ गई है। इसका टेंडर किस फर्म को मिले इस पर रार हो रही है। इसमें सत्ता पक्ष के कुछ नेता भी परोक्ष रूप से दखल दे रहे हैं। इसको लेकर दो बार हंगामा भी हो चुका है ओर टेंडर अब तक फाइनल नहीं हो सका है। जिले में पंचायत चुनाव की तैयारी हो रही है। इसमें सबसे पहले मतदाता सूची को दुरुस्त किया जा रहा है। इसे अगले महीने दुरस्त कर दिया जाना है। इस सूची के फाइनल होने के बाद इसमें दावे-आपत्ति मांगी जाएगी। इसमें संशोधन होगा। इस तरह की सूची के प्रकाशन का टेंडर पाने के लिए इन दिनों पंचास्थानीय के छोटे से एक कमरे के कार्यालय में हंगामे के हालात बन जाते हैं। सूची छापने व संशोधन कार्य के लिए राजनीति गरमा रही है। सरकारी नियम है कि काम उसी को मिलेगा, जो सबसे कम रेट डालेगा। ऐसी एक फर्म का नाम फाइनल होते देख टेंडर खुलते ही सत्ता पक्ष के दो-तीन नेता अपनी फर्म को काम दिलवाने में लग गए। वह अफसरों पर दबाव डालकर अपने मन की कराने का प्रयास कर रहे हैं। इस बारे में कोई अधिकारी व कर्मचारी फिलहाल कुछ बोल नहीं रहा है।


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