सई किनारे मनाई आंवला नवमी
आंवला नवमी का पर्व सोमवार को मनाया गया। सई नदी के किनारे चिलबिला के सच्चा आश्रम में नवमी का कार्यक्रम किया गया। आंवले के पेड़ के नीचे रसोई सजाकर उसमें पकवान बनाए गए। इस मौके पर महंत मनोज ब्रह्माचारी ने कहा कि आंवला नवमी पर पूजन करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
जासं, प्रतापगढ़ : आंवला नवमी का पर्व सोमवार को मनाया गया। सई नदी के किनारे चिलबिला के सच्चा आश्रम में नवमी का कार्यक्रम किया गया। आंवले के पेड़ के नीचे रसोई सजाकर उसमें पकवान बनाए गए। इस मौके पर महंत मनोज ब्रह्माचारी ने कहा कि आंवला नवमी पर पूजन करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। आंवले को आयुर्वेद में अमृत फल कहा गया है। इसके औषधीय गुणों के कारण इसकी पूजा की जाती है। आंवला नवमी परिवार को एक रखने, अपास में समरसता रखने, प्रकृति का संरक्षण करने का संदेश भी देने वाला पर्व है। इस मौके पर आश्रम के कार्यकर्ता व श्रद्धालु भी पहुंचे। मेहमान बनके आया था जान ले गया.
संसू, सगरासुंदरपुर : सर्द रात में कविता की अलख जगी तो वातावरण में रवानी आ गई। मौका था लक्ष्मणपुर बाजार में पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय स्मृति कवि सम्मेलन व मुशायरे का। मुख्य अतिथि डीपीआरओ रवि शंकर द्विवेदी और पूर्व प्रमुख संजय तिवारी के संबोधन के बाद कविता की धार बह चली। जौनपुर की काजोल पाठक योगिनी, शायर मोहम्मद सूफियान प्रतापगढ़ी, सीतापुर के पुष्कर शुक्ल की पंक्तियों ने सोचने पर विवश किया। इस माहौल में बिहारी लाल अंबर ने व्यंग्य का तड़का लगाया। फिर सचिन त्रिपाठी के बाद डॉ. शिवानंद चौबे ने सुनाया.अंधेरे से अगर आंखें न करना चार आया तो उगे सूरज हजारों पर सुबह तेरी नहीं होगी। डॉ. प्रेम शंकर द्विवेदी और इंदू सुल्तानपुरी के बाद शायर साकिब लोहियावी ने सुनाया.होठों से मेरे छीनके मुस्कान ले गया, मेहमान बन के आया था जान ले गया। मंच पर आशीष त्रिपाठी अश्क, दुर्गेश पांडेय, डॉ. सुधांशु उपाध्याय, राजेश प्रतापगढ़ी, विक्टर सुल्तानपुरी , आशुतोष गिरि दीपक, रवि मिश्र, नरेंद्र निराश, संस्थापक संतोष विद्रोही व लंठ प्रतापगढ़ी ने भी काव्य पाठ किया। अध्यक्षता आचार्य विनोद द्विवेदी एवं संचालन नवगीतकार गंगा पांडेय भावुक ने किया। विशिष्ट अतिथि आरपी वर्मा और सारिका श्रीवास्तव रहीं। कलाकार रत्नेश द्विवेदी पंकज समेत कई लोगों को सामाजिक सेवा सम्मान प्रदान किया गया। संयोजक चांदनी दुबे ने आभार जताया।