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ई-विन एप से बचाई गई 13 लाख की वैक्सीन

लॉकडाउन में उपयोग न होने से कई वैक्सीन के खराब होने का खतरा पैदा हो गया था। स्वास्थ्य विभाग ने भारत सरकार द्वारा लांच ई-विन एप के जरिए 13 लाख रुपये की वैक्सीन को अनुपयोगी होने से बचा लिया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Jun 2020 09:50 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jun 2020 09:50 PM (IST)
ई-विन एप से बचाई गई 13 लाख की वैक्सीन

जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : लॉकडाउन में उपयोग न होने से कई वैक्सीन के खराब होने का खतरा पैदा हो गया था। स्वास्थ्य विभाग ने भारत सरकार द्वारा लांच ई-विन एप के जरिए 13 लाख रुपये की वैक्सीन को अनुपयोगी होने से बचा लिया। इसकी रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी गई है। बचाई गई वैक्सीन में हेपेटाइटिस बी, पोलियो, डीपीटी, रोटावायरस, बीसीजी, जेई, पेंटावेलेंट समेत अन्य महंगी वैक्सीन शामिल हैं।

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लॉकडाउन में टीकाकरण बंद होने से वैक्सीन के खराब होने का खतरा पैदा हो गया। इससे चितित स्वास्थ्य विभाग ने तापमान निर्धारण मशीन व इस एप का सहारा लिया। तीन महीने में मिली वैक्सीन की ई-विन एप्लीकेशन से सभी कोल्ड चेन की उपलब्धता की आनलाइन मॉनिटरिग हो रही है। इसके माध्यम से टीके की गुणवत्ता पर भी जोर है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. सीपी शर्मा, सहायक प्रतिरक्षण अधिकारी महेश प्रताप सिंह बताते हैं कि नवजातों को गंभीर बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए टीके लगते हैं। इसके लिए सीएमओ कार्यालय में जिला वैक्सीन स्टोर बना है। कुछ सीएचसी में भी इसकी व्यवस्था है। जिला कोल्ड चेन मैनेजर देवानंद श्रीवास्तव के अनुसार वैक्सीन को खराब होने से बचाने के लिए 2 डिग्री सेल्सियस से प्लस 8 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाना चाहिए। तापमान में होने वाले बदलाव पर नजर रखने के लिए सभी स्टोर की मशीनों को ई-विन सिस्टम से जोड़ा गया है। वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य कर्मी 24 घंटे एप के जरिए उन पर नजर रखे हुए हैं।

खास बातें-

-ई-विन सिस्टम एप द्वारा डिस्ट्रिक्ट वैक्सीन स्टोर व कोल्ड चेन प्वाइंट पर तैनात किए गए स्वास्थ्य कर्मी को घर बैठे ही मोबाइल पर पूरी जानकारी मिल जाती है।

-गर्मी के दिनों में इससे वैक्सीन को सुरक्षित रखना आसान नहीं होता, क्योंकि निर्धारित तापमान में गिरावट या वृद्धि की संभावना बराबर बनी रहती है।

-जब भी तापमान में उतार-चढ़ाव होता है, वहां लगा सेंसर एप के जरिए स्वास्थ्य कर्मियों को अलर्ट करता है।

-सुरक्षित की गई वैक्सीन का इस्तेमाल अब होने लगा है। नवजातों का टीकाकरण अब शुरू हो गया है।

-अगर वैक्सीन को एप के जरिए न बचाया जाता तो टीकाकरण करने के लिए वैक्सीन की खेप नए सिरे से मंगानी पड़ती, टीकाकरण समय से न हो पाता।


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