सिविल सेवा की तैयारी कर रही थी कीर्ति
दहेज मांगना सामाजिक बुराई होने के साथ ही कानूनन अपराध भी है।
पीलीभीत : दहेज मांगना सामाजिक बुराई होने के साथ ही कानूनन अपराध भी है। युवक और युवती के साथ ही दोनों के परिजन भी उच्च शिक्षित तथा आर्थिक रूप से संपन्न हैं, इसके बावजूद वर पक्ष दहेज का लोभ नहीं छोड़ सका। युवती उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद अब सिविल सेवा की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी। दहेज जैसी समस्या न आती तो रिश्ता भी नहीं टूटता। एक तो रिश्ता टूटने का गम और दूसरे पुलिस के लापरवाह रवैये से आहत होकर ही युवती को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा।
कीर्ति सुमन ने एमए बीएड तक की पढ़ाई की थी। रामप्रताप ¨सह की तीन संतानों में वह सबसे बड़ी थी। उसका भाई सत्येंद्र कुमार दिल्ली में केनरा बैंक की शाखा के प्रबंधक पद पर कार्यरत है। छोटी बहन सीमा पॉलीटेक्निक की पढ़ाई कर रही है। जब उसका रिश्ता फतेहपुर जिले के इंजीनियर अर¨वद से तय हो गया और सगाई की रस्म पूरी कर ली गई तो इसके बाद युवक और युवती के बीच फोन पर बातचीत का सिलसिला चल पड़ा था। युवती अपने भावी जीवन को लेकर सपने बुनने लगी थी लेकिन एक झटके में अचानक दहेज का मामला सामने आ गया। हिाल में ही उसके मंगेतर की दूसरी जगह शादी हो गई है। इसके बाद तो वह बिल्कुल टूट गई और अंतत: मानसिक तौर पर परेशान होकर अपनी जान दे दी।
सुसाइड नोट के प्रमुख अंश
मैं अपनी ¨जदगी के स्ट्रगल से थक चुकी हूं। अब और सहने की मुझमें हिम्मत नहीं है। इन लोगों ने (यहां भावी पति अर¨वद के साथ ही सास-ससुर व जेठ-जेठानी का जिक्र) बहुत परेशान किया है। मुझे पता है कि आप लोगों की इन्होंने बहुत बेइज्जती की है। भैया को भी बहुत धमकाया और मारने की कोशिश की। एक्सीडेंट भी इन लोगों ने कराया और बेइज्जती होते नहीं देख सकती, इसलिए यह कदम उठा रही हूं। प्लीज मुझे माफ कर देना। पुलिस भी कुछ नहीं कर रही। बहुत पैसे वाले हैं। अरे जब इतने ही पैसे वाले हो तो दहेज मांगते हुए शर्म क्यों नहीं आ रही। न पुलिस सुन रही थी। रोज-रोज कोर्ट के चक्कर, तारीख पे तारीख मिलती है, उससे मुक्ति मिल जाएगी।
इस तरह की घटनाओं के लिए समाज भी दोषी है। शादी तय कराने में शामिल रहे लोगों को समझाने का प्रयास करना चाहिए था। दहेज के खिलाफ कानून है। ऐसे में मुकदमा दर्ज था तो पुलिस को कार्रवाई भी करनी चाहिए थी। युवती की भावनाओं से खिलवाड़ हुआ। मान-मर्यादा और प्रतिष्ठा को आघात लगा और उसे आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा। इस तरह की स्थितियों से बचा जा सकता है, बशर्ते समाज में जागरूकता लाई जाए।
रामजी नाथ सक्सेना, काउंसलर परिवार परामर्श केंद्र। सुसाइड नोट को पंचनामा के साथ संलग्न कर लिया गया है,इसके ¨बदुओं को भी जांच में शामिल किया जाएगा। वैसे तहरीर के आधार पर धारा 306 के तहत मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू कर दी गई है।
-धर्म ¨सह मार्छल, पुलिस क्षेत्राधिकारी शहर।