नौकरी ही नहीं विरासत में मिला रावण का किरदार
वह पेशेवेर कलाकार नहीं हैं लेकिन अपने शहर की रामलीला से उनका बचपन से ही जुड़ाव रहा।
पीलीभीत : वह पेशेवेर कलाकार नहीं हैं लेकिन अपने शहर की रामलीला से उनका बचपन से ही जुड़ाव रहा है। नौकरी के साथ ही रामलीला में रावण की भूमिका तो उन्हें विरासत में मिली है। उनके पिता ने लंबे समय तक रावण की लीला का मंचन किया। अब वह भी पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए रावण की भूमिका निभा रहे हैं।
शहर में नकटादाना चौराहा के पास स्थित सरकारी कर्मचारी कॉलोनी में रहने वाले विपिन पांडेय के पिता सुरेश पांडेय सिटी मजिस्ट्रेट के राजकीय वाहन चालक पद पर रहे हैं। वह रामलीला में रावण की भूमिका निभाते थे। ऐसे में रामलीला मंचन के लिए जिला प्रशासन की ओर से उन्हें विशेष अवकाश दिया जाता था। लंबे समय तक रावण की भूमिका निभाते रहे सुरेश ने अपने अभिनय की ऐसी छाप छोड़ी कि लोग उन्हें अब तक याद करते हैं। कई साल पहले उनका देहांत हो गया। दोनों बेटे विपिन और नितिन उनके जीवनकाल में ही रामलीला से जुड़ गए थे। विपिन ने लगातार कई साल तक राम की भूमिका निभाई। इस दौरान रामलीला में रावण बने पिता और राम के रूप में बेटे विपिन के बीच युद्ध की लीला का मंचन चर्चित रहा है। सुरेश के देहांत के बाद विपिन को विरासत के तौर पर रावण की भूमिका मिल गई। वह पिछले चार पांच साल से रावण की भूमिका निभाते हैं। उन्हें मृतक आश्रित के तौर पर कलक्ट्रेट में सरकारी नौकरी मिली हुई है। जब पहली बार उन्हें रावण की भूमिका निभाने का दायित्व मिला तो इसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। इस भूमिका के बारे में उनका पहले से कोई अनुभव नहीं था लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत से रावण के किरदार में शानदार अभिनय से सभी को प्रभावित किया। खास बात यह है कि पहले पुत्र और पिता के बीच राम-रावण का युद्ध होता था। राम की भूमिका में विपिन के छोटे भाई नितिन युद्धभूमि में उनके सामने होंगे।