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देहात के क्रय केंद्रों में बिचौलियों की सेंधमारी

ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश धान क्रय केंद्रों पर किसानों को समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पा रहा है। बिचौलिये किसानों के धान को कम दामों में खरीद कर उसे क्रय केंद्रों पर समर्थन मूल्य के हिसाब से बिक्री कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। डीएम की सख्ती के बाद भी यह खेल रूकने का नाम नहीं ले रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 12:47 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 12:47 AM (IST)
देहात के क्रय केंद्रों में बिचौलियों की सेंधमारी
देहात के क्रय केंद्रों में बिचौलियों की सेंधमारी

पीलीभीत,जेएनएन : ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश धान क्रय केंद्रों पर किसानों को समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पा रहा है। बिचौलिये किसानों के धान को कम दामों में खरीद कर उसे क्रय केंद्रों पर समर्थन मूल्य के हिसाब से बिक्री कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। डीएम की सख्ती के बाद भी यह खेल रूकने का नाम नहीं ले रहा है।

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कृषि उत्पादन मंडी समिति में लगे क्रय केंद्रों पर अधिकारियों की पैनी नजर है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के क्रय केंद्रों पर अनदेखी हो रही है। इन क्रय केंद्रों पर पूरी तरह से मनमानी की जा रही है। किसानों का धान औने पौने दामों में खरीदकर पंजीकरण, खतौनी आदि लगाकर मोटा मुनाफा ले रहे हैं। इसके पीछे एक बड़ा खेल सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि कुछ जगह किसानों से पहले ही तय कर लिया जाता है। उतने ही रुपये के धान की कटौती भी कर ली जाती है। यह खेल प्राइवेट संस्था के क्रय केंद्रों पर हो रहा है। थाना सेहरामऊ उत्तरी क्षेत्र के गांव ककरौआ में लगे नेफेड के क्रय केंद्र पर यह खेल पकड़ा जा चुका है। एक ठेकेदार को जेल भी जाना पड़ा है। इसके बाद भी इस क्षेत्र के क्रय केंद्र के हालत सुधार नहीं रहे हैं। इसी क्षेत्र में लगे एक क्रय केंद्र पर नाममात्र का धान पड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि वहां पांच दर्जन से अधिक किसानों को टोकन पहले ही आवंटित कर दिए गए हैं जबकि वह धान भी क्रय केंद्र पर लेकर नहीं पहुंचे। लगातार हो रहे खेल को लेकर किसान को समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है।

क्रय केंद्र पर इस तरह से होता है खेल

किसानों से औने पौने दामों में धान खरीदने वाले बिचौलिये उसका रजिस्ट्रेशन भी ले लेते हैं, इसके बाद क्रय केंद्र पर चढ़ा दिया जाता है। एक किसान ने बताया कि क्रय केंद्र पर किसान जब धान लेकर पहुंचता है तो उससे रुपये तय कर लिए जाते हैं। तौल के बाद कागजों में चढ़ाते समय तय किए गए रुपये के अनुसार धान की कटौती की जाती है। इसके बाद उसका बचा हुआ धान चढ़ाया जाता है। किसान भी बाजार में धान के रेट सही न मिल पाने से मजबूरन बिक्री करता है।

एक राइसमिल से खुल चुकी है पोल

किसान का धान रजिस्ट्रेशन लेने के बाद सौ रुपये महंगा खरीदने का आडियो वायरल होने के बाद राइस मिलों की भी पोल खुल गई है। हालांकि प्रशासन ने राइसमिल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।

सेंटर पर तौल के लिए बीस दिन तक तक पड़ा रहता है धान

सेंटरों पर बीस बीस दिन तक धान किसानों का पड़ा रहता है। कभी वारदाना का अभाव बताकर खरीद नहीं होती तो कभी कांटा खराब होना बताकर तौल प्रभावित हो जाती है। इसके बाद भी लक्ष्य के सापेक्ष रोजाना खरीद दर्शा दी जाती है। किसान सिर्फ आश्वासन के लिए बैठा रहता है।

बीस दिन से क्रय पर धान लेकर पड़ा हूं। अभी तक धान नहीं तौला गया है। धान की दिन रात रखवाली करने को मजबूर हूं।

वसीम, लोधीपुर

क्रय केंद्र पर धान पड़ा रहने से नमी से काफी अधिक सूख गया है। खुले में पड़े रहने से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

जगदीप सिंह, तुलसीपुर

इसबार खरीद को लेकर जितनी समस्या आ रही है शायद इससे पहले कभी भी नहीं हुई। किसान बेहद परेशान नजर आ रहा है।

श्यामू वर्मा, रूद्रपुर

कभी बारदाना तो कभी कांटे की दिक्कत को लेकर तौल नहीं हुई। करीब 15 दिन गुजर गए हैं। धान की रखवाली कर रहा हूं।

ठाकुर प्रसाद, रूद्रपुर

सेंटर पर मात्र कुछ ही दिन खरीद की गई। एडवांस में भी कुछ लोगों को टोकन दे दिए गए। इसके चलते धान बिक नहीं सका।

सुलेमान, लोधीपुर


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