जिले में फूंक दी जाएगी दो करोड़ की आतिशबाजी
दिवाली पर हर साल लाखों रुपये की आतिशबाजी फूंक दी जाती है। भले ही इससे ध्वनि व धुआं का प्रदूषण स्तर कुछ समय के लिए बढ़ जाता हैलेकिन त्योहार की खुशी के चलते लोग इसकी परवाह नहीं करते।
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जागरण संवाददाता, पीलीभीत : दिवाली पर हर साल लाखों रुपये की आतिशबाजी फूंक दी जाती है। भले ही इससे ध्वनि व धुआं का प्रदूषण स्तर कुछ समय के लिए बढ़ जाता है,लेकिन त्योहार की खुशी के चलते लोग इसकी परवाह नहीं करते। अलबत्ता जागरूक लोग अपने परिवार में बच्चो की जिद पूरी करने के लिए आतिशबाजी खरीदकर लाते हैं,लेकिन इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि तेज आवाज वाले पटाखे और ज्यादा धुआं छोड़ने वाली आतिशबाजी के बजाय रोशनी बिखरने वाले आयटम रहें। जिससे बच्चे खुश रहें और पर्यावरण को भी ज्यादा नुकसान न पहुंचे।
प्रशासन की ओर से दिवाली पर आतिशबाजी के अस्थाई बाजार की व्यवस्था आबादी से दूर कराई जाती है। हालांकि काफी पहले शहर के अंदर घनी आबादी के बीच आतिशबाजी की दुकानों का संचालन होता रहा है,लेकिन एक बार चूड़ी वाली गली में दुकान में आग लगने का हादसा हो गया था। कई लोगों की जान चली गई थी, तब से आबादी के बीच पटाखों की दुकानों पर प्रतिबंध लग गया। उसके बाद कई साल तक गांधी स्टेडियम परिसर में दुकानें लगवाई गईं। फिर महसूस किया गया कि यहां पर भी आसपास काफी आबादी है। तब आतिशबाजी के अस्थाई बाजार में टनकपुर हाईवे स्थित नेहरू ऊर्जा उद्यान परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया। मगर बाद में वहां से भी हटाकर रामलीला मैदान में इसे लगवाया जा रहा है। रामलीला मैदान पर पिछले साल लगभग डेढ़ सौ दुकानों को अस्थाई लाइसेंस शर्तों के अधीन दिए गए थे। इस साल भी इतनी ही संख्या में आतिशबाजी की दुकानें लगने की संभावना है। अकेले शहर में ही औसतन दस से बारह लाख रुपये का आतिशबाजी का कारोबार रहता है। पूरनपुर, कलीनगर, बीसलपुर और अमरिया तहसील क्षेत्रों में भी आतिशबाजी की सैकड़ों दुकानें लगती हैं। संबंधित थाना और अग्निशमन विभाग की रिपोर्ट के आधार पर शर्तों के अधीन संबंधित तहसील के उपजिलाधिकारी अस्थाई लाइसेंस जारी करते हैं। अस्थाई लाइसेंस की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
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अब लोग तेज आवाज वाले पटाखे ज्यादा पसंद नहीं करते। आसमान वाली आतिशबाजी का चलन बढ़ गया है। इसलिए लोगों की रुचि को देखते हुए स्टाक तैयार कर रहे हैं।
हसन मियां, आतिशबाज
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दिवाली पर तीन दिन का बिजनेस होता है। अब ग्रीन पटाखे भी आने लगे हैं। ये इस तरह से तैयार किए जाते हैं, जिससे धुआं कम निकले और वातावरण ज्यादा प्रदूषित न हो।
मोहम्मद अजीम