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चलतुआ गांव में शोक के बीच ग्रामीणों में डर

बाघ के हमले में ग्रामीण की मौत के बाद ग्रामीणों द्वारा बाघ को जंगल में घेरकर पीटकर मार डाला गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 12:13 AM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 12:13 AM (IST)
चलतुआ गांव में शोक के बीच ग्रामीणों में डर
चलतुआ गांव में शोक के बीच ग्रामीणों में डर

पीलीभीत : बाघ के हमले में ग्रामीण की मौत के बाद ग्रामीणों द्वारा बाघ को जंगल में घेरकर पीटकर मार डालने की घटना के दूसरे दिन चलतुआ गांव में शोक से साथ ही डर का माहौल रहा। बाघ हमले में मौत का शिकार हुए ग्रामीण के घर परिजनों की सिसकियां सन्नाटा को तोड़ती रहीं। ग्रामीणों का कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम में वन विभाग की लापरवाही भी कम जिम्मेदार नहीं है।

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जोगराजपुर : सोमवार को गांव में सुबह से ही पूरी तरह सन्नाटा दिखाई दिया। घटना को लेकर ग्रामीण ज्यादा कुछ कहने को तैयार नहीं हुए लेकिन कुछ लोगों ने इतना जरूर कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही भी कम नहीं रही है। विगत 26 अक्टूबर को गांव के ही एक युवक रमन को बाघ ने हमला कर घायल कर दिया था। वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए ¨पजरा तो लगाया लेकिन उसमें कोई शिकार नहीं बांधा। जिस कारण बाघ ¨पजरा तक आया ही नहीं। मृतक देवानंद के घर में सिसकियां सुनाई पड़ रही थीं। मृतक की पत्नी सावित्री देवी ने रोते हुए बताया कि रविवार शाम को वह भी पति के साथ साइकिल पर सवार होकर मैलानी से घर वापस लौट रही थी। गांव से मैलानी तक जाने का रास्ता जंगल से बीच से होकर जाता है। गांव के सभी लोग इसी रास्ते से आवागमन करते हैं। जब वह पति के साथ साइकिल से लौट रही थी तो गांव से महज चार सौ मीटर की दूरी रह गई थी कि अचानक एक बाघ झाड़ियों से निकला और पति पर हमला कर दिया। बाघ उसके पति को करीब तीस मीटर जंगल के अंदर खींच ले गया। इधर, से गुजरने वाले अन्य लोगों ने जब यह देखा और उसने भी शोर मचाया तो मौके पर तमाम लोग एकत्र हो गए। सभी ने शोर मचाया, तब बाघ वहां से हट गया। इसके बाद गंभीर रूप से घायल उसके पति को जंगल से निकाला गया। इसी दौरान वन विभाग के कर्मचारी भी वहां आ गए। उसके पति की सांसें चल रही थी। इसलिए वन विभाग के लोग उन्हें लेकर भीरा के अस्पताल पहुंचे। वहां से रेफर होने के बाद जब पति को लखीमपुर खीरी ले जाते समय रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। बेटियों के हाथ पीले करने की ¨चता

मृतक देवानंद के परिवार में पत्नी के अलावा तीन बेटे और तीन बेटियां हैं। बड़े बेटे जोखन की शादी हो चुकी है। तीनों बेटियां अभी कुंवारी हैं। देवानंद मजदूरी कर परिवार को पाल रहा था। पत्नी सावित्री बेटियों के नाम ले लेकर रोते हुए कह रही थी कि अब इनकी शादी कैसे हो सकेगी। दो बेटे भी अभी छोटे हैं, उनकी परवरिश को लेकर भी मृतक की पत्नी रोते हुए ¨चता जताती रही।


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