बाघ मित्रों को सिखाया ग्रिड बनाने का तरीका
- ग्लोबल टाइगर फोरम व पीलीभीत टाइगर रिजर्व के तत्वावधान में संयुक्त कार्यशाला -मॉनीटरिग में उपयोग में लाए जाने वाले आधुनिक उपकरण जीपीएस ट्रैप कैमरा रेंज फाइंडर का प्रदर्शन - विशेषज्ञ ने बाघ मित्रों को माला रेंज की गोयल कॉलोनी में ले जाकर दिया फील्ड प्रशिक्षण फोटो-17पीआइएलपी-9 10
जागरण संवाददाता, पीलीभीत : टाइगर रिजर्व व ग्लोबल टाइगर फोरम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में वन कर्मियों तथा बाघ मित्रों को क्रियात्मक प्रशिक्षण दिया गया। बाघ मित्रों को सिखाया गया कि किस तरह से जंगल की सीमा से पांच-पांच सौ मीटर दूर तक रोजाना निरीक्षण करके निर्धारित प्रपत्र पर रिपोर्ट तैयार करेंगे। इस दौरान वन कर्मचारियों और अधिकारियों को जंगल से बाहर आ जाने वाले वन्यजीवों का रेस्क्यू करने का तरीका सिखाया गया।
गुरुवार को पीलीभीत टाइगर रिजर्व के मुख्यालय पर हुई कार्यशाला में ग्लोबल टाइगर फोरम के सचिव डॉ. राजेश गोपाल ने मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बाघ मित्रों को समझाया कि किस तरह से जंगल किनारे गांवों खेतों पर जाकर वहां वन्यजीवों के पगमार्क खोजेंगे। इसके लिए वे पांच-पांच सौ मीटर की आपस में एक ग्रिड बना लेंगे। पूरे क्षेत्र को कवर किया जा सके। कहीं पर बाघ या तेंदुआ का पग चिह्न मिलता है तो तुरंत इसकी सूचना संबंधित बीट के वन कर्मचारी को देना है। बाघ व तेंदुआ की मॉनीटरिग में उपयोग में लाए जाने वाले आधुनिक उपकरण जीपीएस, ट्रैप कैमरा, रेंज फाइंडर का प्रदर्शन भी किया गया। कार्यशाला के उपरांत बाघ मित्रों व वन कर्मियों को माला रेंज के अंतर्गत आने वाली गोयल कॉलोनी में ले जाकर फील्ड प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला में पीटीआर के फील्ड डायरेक्टर डॉ. एच. राजामोहन, डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल, सामाजिक वानिकी के डीएफओ संजीव कुमार, एसडीओ प्रवीण खरे, उमेश चंद्र राय के साथ ही सभी पीटीआर व सामाजिक वानिकी के सभी रेंजर तथा प्रत्येक रेंज के 10-10 कर्मचारी शामिल रहे।