टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा में सेंध
टाइगर रिजर्व में दो ऐसे प्रमुख मार्ग हैं जिन पर काफी यातायात रहता है। इन मार्गों पर अक्सर बाघ या बाघिन शावकों के साथ विचरण करते हुए पहले भी देखे गए लेकिन उसके बाद इन सड़कों पर बाघों की सुरक्षा के प्रबंध नहीं हुए। पीलीभीत-माधोटांडा और माधोटांडा-खटीमा मार्ग वन्यजीवों की सुरक्षा के लिहाज से काफी संवेदनशील हैं।
पीलीभीत,जेएनएन : टाइगर रिजर्व में दो ऐसे प्रमुख मार्ग हैं, जिन पर काफी यातायात रहता है। इन मार्गों पर अक्सर बाघ या बाघिन शावकों के साथ विचरण करते हुए पहले भी देखे गए लेकिन उसके बाद इन सड़कों पर बाघों की सुरक्षा के प्रबंध नहीं हुए। पीलीभीत-माधोटांडा और माधोटांडा-खटीमा मार्ग वन्यजीवों की सुरक्षा के लिहाज से काफी संवेदनशील हैं।
पिछले साल कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान जब लॉकडाउन लगा तो अनेक स्थानों पर देखा गया कि वन्यजीव जंगल से निकलकर बाहर स्वच्छंद विचरण करने लगे। क्योंकि उस दौर में मानवीय गतिविधियां काफी सीमित हो गईं थीं। इस बार कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान जब कोरोना कर्फ्यू लागू किया गया तो कमोवेश पिछले साल की तरह की मानवीय गतिविधि में काफी कमी आ गई। पिछले दिनों टाइगर रिजर्व प्रशासन की ओर से आनलाइन बाघ मित्रों को प्रशिक्षण इसी उद्देश्य से दिया गया कि मानवीय गतिविधियों में कमी आने के कारण वन्यजीव जंगल से बाहर आने लगते हैं। बाघ मित्रों को तो जंगल के निकट वाले गांवों में सक्रिय कर दिया गया लेकिन पीलीभीत-माधोटांडा रोड पर, जहां कई किमी तक सड़क के दोनों ओर माला रेंज का घना जंगल है, उस पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए। इसी का परिणाम रहा कि किसी भारी वाहन की चपेट में आकर बाघिन की मौत हो गई। पीलीभीत जिले की देश-दुनिया में पहचान बाघों के कारण ही बनी है और उन्हीं के जीवन पर खतरा मंडराने लगा है। जंगल के बीच से माधोटांडा खटीमा रोड भी निकला हुआ है। उस रोड पर भी अक्सर बराही रेंज के जंगल से निकलकर वन्यजीव सड़क पर आ जाते रहे हैं। इसके बावजूद इन दोनों मार्गों पर वन कर्मियों की गश्त लचर रही है। हालांकि टाइगर रिजर्व के प्रभागीय वनाधिकारी नवीन खंडेलवाल का कहना है कि इन दोनों मार्गों पर वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए और प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। जिससे भविष्य में इस तरह की घटना न हो सके।