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स्वजन 25 घंटे रोके रहे शव का दाह संस्कार, फिर माने

एक सप्ताह पूर्व प्रधानी के चुनाव की रंजिश में दो पक्षों के बीच

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Aug 2022 11:16 PM (IST)Updated: Thu, 25 Aug 2022 11:16 PM (IST)
स्वजन 25 घंटे रोके रहे शव का दाह संस्कार, फिर माने
स्वजन 25 घंटे रोके रहे शव का दाह संस्कार, फिर माने

स्वजन 25 घंटे रोके रहे शव का दाह संस्कार, फिर माने

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पीलीभीत,जेएनएन : एक सप्ताह पूर्व ग्राम प्रधान के चुनाव की रंजिश में दो पक्षों के बीच हुए संघर्ष में गंभीर रूप से घायल पूर्व प्रधान की उपचार के दौरान अस्पताल में गत दिवस मृत्यु हो गई थी। पोस्टमार्टम के बाद शव गांव पहुंचा तो स्वजन इस बात पर अड़ गए कि पहले आरोपितों को गिरफ्तार किया जाए, तब शव का दाहसंस्कार करेंगे। प्रशासन व पुलिस के अधिकारी स्वजन को समझाते रहे लेकिन वे नहीं माने। लगभग 25 घंटे बाद पूर्व विधायक की ओर से आश्वासन दिए जाने के बाद स्वजन शव का दाहसंस्कार करने को राजी हुए। मामला कोतवाली क्षेत्र के गांव बरखड़ी का है। यहां 17 अगस्त की रात प्रधानी के चुनाव की रंजिश में गांव निवासी अधिवक्ता ओमपाल और पूर्व प्रधान कृष्णपाल के पक्षों में संघर्ष हो गया था, जिसमें पूर्व प्रधान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें बरेली के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। घटना के बाद आरोपित अधिवक्ता को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उधर घायल पूर्व प्रधान की गत दिवस इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम के बाद बुधवार को सायं करीब पांच बजे शव गांव पहुंचा। दोनों पक्षों में तनाव के कारण गांव में पुलिस फोर्स लगा दिया गया। साथ ही अधिकारी भी पहुंच गए। अधिकारियों के सामने पूर्व प्रधान के स्वजन इस बात पर अड़ गए कि पहले सभी आरोपितों की गिरफ्तारी हो, तब शव का दाहसंस्कार करेंगे। गुरुवार की सुबह पूर्व विधायक रामसरन वर्मा, सीओ मनोज यादव, बरखेड़ा के एसओ उदयवीर सिंह आदि गांव पहुंचे। पूर्व विधायक ने मृतक के स्वजन को आश्वासन दिया कि मुकदमे में नामजद अधिवक्ता के पुत्र दिनेश, भतीजे विजय व एक अन्य आरोपित हरिपाल को भी जल्द गिरफ्तार कराया जाएगा। इसके बाद दोपहर करीब 11.30 बजे स्वजन शव का दाहसंस्कार करने को राजी हो गए। इसके उपरांत श्मशान घाट पर दाहसंस्कार की तैयारी होने लगी। इस दौरान सर्किल के चारों थानों के प्रभारी निरीक्षक व सुनगढ़ी के प्रभारी निरीक्षक नरेश कुमार त्यागी गांव में तब तक डेरा डाले रहे, जब तक शव की अंत्येष्टि नहीं हो गई।


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