अपनों के बीच पहुंचने पर खुशी के छलके आंसू
पीलीभीतजेएनएन बाढ़ में तीन दिन तक जीवन और मौत के बीच संघर्ष करने वाले दूधिए अपनों के बीच पहुंचे तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। आधी रात के बाद तक ग्रामीण और रिश्तेदार मिलने आते रहे। हालांकि चेहरे पर अभी खौफ नजर आ रहा।
पीलीभीत,जेएनएन : बाढ़ में तीन दिन तक जीवन और मौत के बीच संघर्ष करने वाले दूधिए अपनों के बीच पहुंचे तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। आधी रात के बाद तक ग्रामीण और रिश्तेदार मिलने आते रहे। हालांकि चेहरे पर अभी खौफ नजर आ रहा।
हजारा थाना क्षेत्र के गांव टांगिया में गौढ़ी (पशुपालन) संचालन करने वाले जलालुद्दीन और मोहम्मद हसन बताते हैं कि बचाव की टीम जब उनके पास पहुंची तो वह लोग पानी में खड़े थे। उस समय तक पानी बेहद कम हो गया था। पहले दिन पानी ने गौढ़ी को पूरी तरीके से घेर लिया था। इसके बाद वह सभी लोग पेड़ पर चढ़ गए और वहीं बैठे रहे। उन्होंने बताया कि बाढ़ से बिस्तर, कपड़े, मोबाइल और कुछ मवेशी भी बह गए। हालांकि उनके पास बाइकें नहीं थी। बाइकों को दूसरी जगह खड़ी कराया था। उन्होंने बताया कि जब उन्हें इंस्पेक्टर हजारा हरीशवर्धन सिंह लेकर थाने पहुंचे और इसके बाद वह परिवार के पास गुरुवार की रात पहुंचे तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। आने का स्वजन के अलावा ग्रामीण भी इंतजार कर रहे थे। घर पहुंचते ही बड़ी संख्या में ग्रामीण आ गए। आधी रात तक लोगों के आने और हाल-चाल जानने का क्रम जारी रहा। अपनों को देखते ही आंखें खुशी से नम हो गई। आधी रात के बाद लोगों की चहल-पहल कम होने पर नींद आई लेकिन सुबह जल्दी ही आंख खुल गई। रात में वह मंजर आंखों के इर्द-गिर्द घूमता रहा। शुक्रवार की सुबह रिश्तेदारों के आने का क्रम शुरू हो गया जो उनका हालचाल जानते रहे।
एक काल पर घर पर मचा चीत्कार
जलालुद्दीन बताते हैं कि गुरुवार को जब हेलीकाप्टर उन्हें बचाने के लिए पहुंचा तो उसमें थाना सेहरामऊ उत्तरी क्षेत्र के गांव नजीरगंज निवासी भांजा हाशिम भी था। हेलीकाप्टर गौढ़ी के ऊपर से गुजरा। उन्होंने उसे देख लिया, लेकिन इससे पहले वह लोग वहां हट चुके थे। खाली कपड़े आदि पड़े थे। भांजे ने जब कपड़े देखे तो उसने घरवालों को लापता होने की सूचना दे दी। इसके बाद स्वजन रोने चिल्लाने लगे। बचाव टीम जब उनके पास पहुंची तो इसकी सूचना पुलिस अधिकारियों द्वारा उनके स्वजन को दे दी गई। तब उन्होंने राहत की सांस ली। प्रशासन और पुलिस का जता रहे आभार
बाढ़ में फंसे सभी लोगों का कहना है कि पुलिस और प्रशासन ने उन्हें निकालने के लिए बेहद मेहनत की है। उनके बाढ़ में फंसने के बाद से ही अधिकारी सक्रिय हो गए थे। वह बताते हैं कि पुलिस की मदद के बाद ही वहां से वह लोग सुरक्षित निकल कर घर पहुंच सके हैं। वह पुलिस और प्रशासन का आभार भी जता रहे हैं।
पुश्तैनी समय से कर रहे गौढ़ी का संचालन
नहरोसा निवासी जलालुद्दीन बताते हैं कि पुश्तैनी समय से वह गौढ़ी के संचालन का कार्य करते हैं। कभी भी ऐसी भयावह स्थिति नहीं आई। उनकी आंखों के सामने अभी भी वह मंजर घूम रहा है। वह पूरी जिदगी इस घटना को नहीं भुला सकेंगे। यह दिन जिदगी के बेहद कष्ट भरे दिन थे। हर पल उन्हें मौत का खतरा सताता रहा। लेकिन सभी से बातचीत और बाहर निकलने की उम्मीद से सफलता मिली।