Move to Jagran APP

गोली लगने के बाद भी ज्ञानेश ने नहीं हारी हिम्मत

तहसील क्षेत्र के गांव रूदपुर निवासी ज्ञानेशचंद्र राममंदिर आंदोलन के दौरान बेहद सक्रिय रहे थे। पुलिस द्वारा की गई फायरिग में उनके हाथ में गोली लग गई थी लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण का संकल्प पूरा होने को लेकर वह बहुत उत्साहित हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 10:36 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 10:36 PM (IST)
गोली लगने के बाद भी ज्ञानेश ने नहीं हारी हिम्मत
गोली लगने के बाद भी ज्ञानेश ने नहीं हारी हिम्मत

पीलीभीत,जेएनएन : तहसील क्षेत्र के गांव रूदपुर निवासी ज्ञानेशचंद्र राममंदिर आंदोलन के दौरान बेहद सक्रिय रहे थे। पुलिस द्वारा की गई फायरिग में उनके हाथ में गोली लग गई थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण का संकल्प पूरा होने को लेकर वह बहुत उत्साहित हैं।

loksabha election banner

बताते हैं कि 21 अक्टूबर 1990 के दिन पूर्व विधायक प्रमोद प्रधान और कुछ अन्य लोगों के सहयोग से 29 सदस्सीय लोगों की टोली अयोध्या के लिए रवाना हुई। मैलानी पहुंचने पर ट्रेन को रद्द कर दिया गया। इसपर टोली ने नानपारा और गोरखपुर होते हुए अयोध्या पहुंचने की कोशिश की। नानपारा में भी ट्रेन रद हो गई। उस दिन धर्मशाला में रूकने के बाद सभी लोगों ने ढाई सौ किमी. दूर अयोध्या के लिए पैदल सफर करना शुरू कर दिया।

रास्तों में गश्त कर रही पुलिस से बचकर गन्ना, अरहर आदि के खेतों में छिपते छिपाते 28 अक्टूबर को वह मछली गांव पहुंच गए। मछली गांव में उनकी टीम को रोक लिया गया और उन्हें जेल ले जाने की तैयारी शुरू कर दी गई। इसबीच उन्होंने शौचालय जाने की बात कही तो उनके सभी कपड़े निकलवा लिए गए। कुछ दूरी पर जाने के बाद वह खेतों से होकर भाग निकले थे। पड़ोस के गांव में कुछ कपड़े एकत्र पहनने को मांगे। फैजाबाद पहुंचने पर मनकापुर में हजारों की संख्या में कार सेवक उन्हें एकत्र मिले। 30 को वहां से हजारों की संख्या में कारसेवक अयोध्या के लिए चल दिए। सरयू नदी के टापू पर उन्हें रोक लिया गया। इसबीच उमा भारती पुलिस की वेषभूषा में पहुंच गई। उन्हें देखकर नारे लगने शुरू हो गए। कारसेवक नारे लगाकर राममंदिर परिसर में बढ़े। वहां मौजूद पुलिस ने अंधाधुंध गोलियां और लाठी चलानी शुरू कर दिया। कई लोग गंभीर घायल हो गए। उनके भी लाठियां पड़ी और हाथ में गोली लगी। वहां से जैसे तैसे जान बचाकर वह अन्य लोगों के साथ बाहर निकले। तीन नंबर को जब वह पूरनपुर पहुंचे तो गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। थैला रुपयों से भर गया था। उन्होंने वह रुपये संघ के लोगों को देकर मंदिर निर्माण में लगाने की बात कही।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.