चावल मिलों को बाहर से नहीं मंगाना पड़ेगा बासमती धान
पीलीभीत,जेएनएन : तराई के इस जिले का बासमती चावल दूर-दूर तक प्रसिद्ध है लेकिन यहां बासमती धान की पैदावार नाममात्र रह जाने के कारण पिछले एक दशक से राइस मिलों को बासमती धान बाहरी जिलों से मंगाना पड़ता रहा है। इस बार जिले में करीब छह हजार हेक्टेयर रकबा में बासमती धान की फसल लहलहाएगी। इसके लिए किसानों ने तैयारी कर ली है। पूसा की 1121 प्रजाति की बासमती के पौधे बड़े होने के कारण खेत में गिर जाने की समस्या के कारण इसकी पैदावार से किसानों ने हाथ खींच लिया था लेकिन अब पूसा की ही 1509 व 1692 प्रजाति का बीज लाया गया है। इसके पौधे न तो खेत में गिरने की नौबत आएगी और न ही रोग और कीट ज्यादा लगेंगे।
पीलीभीत का बासमती चावल की प्रदेश के अन्य जिलों के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों मांग रहती है। पिछले वर्षों में तो खाड़ी देशों में यहां से बासमती चावल का निर्यात भी होता रहा है। इधर, कुछ वर्षों से किसानों ने बासमती धान की खेती को कम कर दिया था। इसके बजाय मोटे धान की खेती ज्यादा शुरू कर दी थी। क्योंकि इससे सरकारी समर्थन मूल्य पाने में आसानी रहती है। दूसरे पहले जो बासमती की प्रजातियां लगाई जाती थीं, उनमें कीट लगने की आशंका अधिक रहती थी। जिससे किसानों की लागत बढ़ जाती थी। ऐसे में जिले में बासमती चावल तैयार करने वाली मिलों को बाहरी जिलों से धान मंगाना पड़ता था। अब शासन ने किसानों को फिर से बासमती धान की खेती के प्रति प्रोत्साहित किया है। पीलीभीत प्रदेश के उन 17 जिलों में शामिल हैं, जो बासमती धान की पैदावार करने के लिए मान्यता प्राप्त है। इसीलिए पहली बार राजकीय कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से अनुसूचित जाति के किसानों को बासमती धान का बीज निश्शुल्क उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) से जो बासमती बीज मंगाकर किसानों को दिया गया, उसमें रोग व कीट लगने की गुंजाइश कम रहेगी। कृषि विभाग की ओर से जिले में छह हजार हेक्टेयर रकबा में बासमती धान की रोपाई का लक्ष्य इस बार दिया गया है। ऐसे में आने वाले दिनों में चावल मिलों को बाहरी जिलों व प्रदेशों से बासमती धान मंगाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
जिले में इस साल कुल एक लाख 34 हजार 910 हेक्टेयर में धान की रोपाई का लक्ष्य मिला है। इसमें से छह हजार हेक्टेयर में बासमती धान उगाया जाएगा। अभी धान रोपाई का कार्य चल रहा है। उम्मीद है कि लक्ष्य से अधिक रकबा में धान की रोपाई हो जाएगी।
डा. विनोद कुमार यादव, जिला कृषि अधिकारी
राजकीय कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से जिले में बासमती धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुसूचित जाति के लगभग दो हजार किसानों को पूसा से बासमती का आधारीय बीज मंगवाकर निश्शुल्क दिया गया है। अगले साल यह उत्तम गुणवत्ता का बीज यहीं के किसानों के खेतों में ही तैयार हो जाएगा, जिससे बाहर से मंगाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
डा. शैलेंद्र सिंह ढाका, वरिष्ठ विज्ञानी, राजकीय कृषि विज्ञान केद्र