प्रज्ञा पद्मेश ने महामारी में आपदा को बनाया अवसर
पीलीभीतजेएनएन प्रत्येक व्यक्ति में विशेष प्रतिभा होती है। वह हुनर को सही समय पर पहचान कर उसे तराशे तो हुनर ही उसकी पहचान बन जाती है। नवरात्र के पंचमी पर मां स्कंदमाता की आराधना होती है जिनके स्वरूप में ज्ञान ध्यान के दर्शन होते हैं। देवी के इस स्वरूप में ऐसी नारियों का बोध होता है जो अपने ज्ञान विवेक और कौशल से सफलता की नई ऊंचाइयां प्राप्त करती हैं। ऐसी ही कहानी है शहर निवासी प्रज्ञा पद्मेश की जिन्होंने पिछले दो वर्षों में अपने ज्ञान व विवेक में तकनीकी का प्रयोग कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के प्रयास शुरू किए हैं। वह लेखन को सशक्त करते हुए ब्लागिग के माध्यम से लोगों तक ज्ञान पहुंचा रही हैं।
पीलीभीत,जेएनएन: प्रत्येक व्यक्ति में विशेष प्रतिभा होती है। वह हुनर को सही समय पर पहचान कर उसे तराशे तो हुनर ही उसकी पहचान बन जाती है। नवरात्र के पंचमी पर मां स्कंदमाता की आराधना होती है जिनके स्वरूप में ज्ञान, ध्यान के दर्शन होते हैं। देवी के इस स्वरूप में ऐसी नारियों का बोध होता है जो अपने ज्ञान, विवेक और कौशल से सफलता की नई ऊंचाइयां प्राप्त करती हैं। ऐसी ही कहानी है शहर निवासी प्रज्ञा पद्मेश की जिन्होंने पिछले दो वर्षों में अपने ज्ञान व विवेक में तकनीकी का प्रयोग कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के प्रयास शुरू किए हैं। वह लेखन को सशक्त करते हुए ब्लागिग के माध्यम से लोगों तक ज्ञान पहुंचा रही हैं।
पढ़ाई पूर्ण कर बनीं सहायक प्रवक्ता: प्रज्ञा ने प्रारंभिक से लेकर स्नातक (बीएससी) तक की शिक्षा जनपद स्थित शिक्षण संस्थानों से ग्रहण की। बदायूं के बांकेबिहारी महिला महाविद्यालय से बीएड करने के बाद बरेली कालेज से इतिहास विषय में परास्नातक की उपाधि ग्रहण की। इसके उपरांत बरेली स्थित खंडेलवाल कालेज से एमएड की डिग्री हासिल कर दो बार राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण की। लगभग दो वर्षों तक बतौर सहायक प्रवक्ता निजी महाविद्यालय में शिक्षण कार्य किया।
आपदा में अवसर को तलाशा: प्रज्ञा को लेखन, कला व शिल्प कार्य में शुरू से रुचि थी। वह अक्सर डायरी के पन्नों में लेखन तो कभी उत्सवों पर कला व शिल्प का हुनर प्रयोग करती थीं। कोरोना की पहली लहर के दौरान कुछ वक्त आराम मिला तो उन्होंने अपनी रुचियों को तराशने का निर्णय लिया। घर बैठे ही विभिन्न आनलाइन मंचों पर अपने ब्लाग, कविताएं आदि लिखना शुरू किया। लोगों ने सराहा तो इस क्षेत्र में संभावनाओं को ढूंढना शुरू किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात आकृति मट्टू से हुई जो स्वयं एक लेखन संबंधी आनलाइन मंच की संस्थापिका हैं। प्रज्ञा ने उनके आनलाइन मंच बीई समुदाय की सदस्यता ग्रहण की।
मेंटरशिप प्रोग्राम के माध्यम से व्यवसायिक लेखन से जुड़ी तकनीकी बारीकियों को सीखना प्रारंभ किया। इसमें ग्राफिक डिजाइनिग, वेबसाइट के मानकों पर लेखन नियम, कंटेंट राइटिग, ब्लाग के माध्यम से मॉनिटाइजेशन, गूगल रैंकिग आदि कई लेखन व वेबसाइट संचालन संबंधी अंतरराष्ट्रीय स्तर के कौशल शामिल हैं। वेबसाइट का सफल संचालन: मेंटरशिप प्रोग्राम पूरा करने के बाद प्रज्ञा ने कला व शिल्प के ज्ञान को तकनीकी के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने के लिए अपनी वेबसाइट डिजाइन कराई। 30 मई 2021 को कारीगरी डाट काम के नाम से बनी इस वेबसाइट पर प्रज्ञा ने मंडला कला, अल्पना जैसी सांस्कृतिक कलाओं के विषय में ब्लाग लिखना शुरू किए। बेहतर रैकिंग के कारण चार माह में ही प्रज्ञा की वेबसाइट गूगल पर विषय संबंधी वेबसाइटों में शामिल हो चुकी है। 19 देशों में पढ़े जा रहे ब्लाग: प्रज्ञा के ब्लाग को भारत समेत 19 देशों के लोग पढ़ रहे हैं। अमेरिका, जर्मनी, नीदरलैंड, कतर, चीन, नेपाल, रूस, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, ब्राजील, फ्रांस, यूनाइटेड किगडम, हांगकांग, आयरलैंड, सऊदी अरब व स्वीडन के लोग शामिल हैं। चार माह में ही वेबसाइट पर देश-विदेश के 1066 यूजर्स जुड़ चुके हैं। उनकी वेबसाइट को अब तक 3655 पेज व्यूज मिल चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में बनाया स्थान: प्रज्ञा को ब्लाग के साथ ही कविताएं लिखने का भी शौक है। उनके द्वारा लिखी गई कई रचनाएं बीई समुदाय द्वारा प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। उनकी कला को अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के कवर पेज पर जगह मिली है। इनसेट--
गूगल के सहयोग से महिला उद्यमियों को किया प्रशिक्षित
प्रज्ञा ने कोरोना काल के दौरान ही गूगल के एक्सेलरेटर प्रोग्राम से जुड़कर गांव की महिला उद्यमियों को आनलाइन बाजार उपलब्ध कराने के लिए प्रशिक्षण में सहयोग किया। घर बैठे आनलाइन माध्यम से ही देश के विभिन्न इलाकों की ग्रामीण महिला उद्यमियों को एक मंच पर जोड़ा। उन्हें आनलाइन बाजार के मंचों, आनलाइन सोशल साइट्स के संचालन आदि के बारे में प्रशिक्षित कर डिजिटल प्लेटफार्म से जोड़ने में भूमिका निभाई। छह माह के इस कार्यक्रम में उन्होंने कई ग्रामीण महिलाओं को आनलाइन बाजार में उत्पादों की बिक्री के लिए स्थापित कराया। प्रज्ञा स्वयं भी आनलाइन माध्यम से अपने शिल्प उत्पादों की बिक्री का चुकी हैं।
मुझे हिदी भाषा में लेखन का शौक था। कोरोना काल के दौरान भाई की सलाह पर ब्लाग लिखना शुरू किया। उसके बाद से नए अवसर मिलते रहे और सफर बढ़ता गया। ज्ञान को तकनीकी क्षेत्र से जोड़ना वर्तमान और भविष्य की मांग है। मेहनत, सटीक जानकारी और भाषा पर पकड़ से सफर बहुत आसान हो गया। मेरा ब्लागिग का सफर हिदी भाषा से शुरू हुआ। लोग क्षेत्रीय भाषा का भी चुनाव कर सकते हैं।
- प्रज्ञा पद्मेश, ब्लागर, कारीगरी डाट काम