हाथियों से सैर करना सपना नहीं बना हकीकत
टाइगर रिजर्व की माला जंगल स्थित बड़ैना ताल तक हाथियों से टूरिस्टों को सैर कराने की योजना पर पानी फिर गया है।
पीलीभीत : टाइगर रिजर्व की माला जंगल स्थित बड़ैना ताल तक हाथियों से टूरिस्टों को सैर कराने की सपना कागजों में सिमट कर रह गया। आने वाले समय में टूरिस्टों को हाथियों से सैर करने का सपना हकीकत नहीं बन सकेगा। अभी तक टाइगर रिजर्व को हाथी तक प्राप्त नहीं हुए हैं।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व का जंगल माला, महोफ, बराही, हरीपुर, दियोरिया कलां में 71288 हेक्टेयर एरिया में फैला हुआ है, जिसमें लुप्तप्राय बाघ, हिरन, तेंदुआ, भालू, अजगर, बंगाल फ्लोरिकन हिस्पिडहियर समेत कई प्रजातियों के वन्यजीव पाए जाते हैं। टाइगर रिजर्व की माला रेंज के जंगल में हाथियों से टूरिस्टों को सैर कराने की रणनीति तैयार की गई थी। टाइगर रिजर्व की रणनीति के मुताबिक, माला रेलवे स्टेशन के समीप जंगल में हाथियों को रखे जाने का निर्णय लिया गया था, जहां से टूरिस्टों को हाथियों से सैर कराने का खाका खींचा गया था। टूरिस्टों को हाथियों से सैर कराते हुए माला जंगल के बड़ैना ताल तक ले जाने की रूपरेखा तैयार की गई थी, जहां पर पक्षियों की भरमार है। सुबह के समय कई प्रजातियों के पक्षी चहचहाते दिखते हैं, जिनकी चहचहाट से टूरिस्ट मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। वन अधिकारियों की सुस्त रफ्तार की वजह से अभी तक लखीमपुर खीरी के दुधवा टाइगर रिजर्व से तीन हाथी तक नहीं मिल पाए हैं, जबकि कर्नाटक से हाथी आए हुए कई माह हो चुके हैं। अगर समय से हाथी मिल जाएं, तो माला जंगल से टूरिस्टों को हाथियों से सैर कराने का सपना पूरा हो सकेगा। टाइगर रिजर्व की रफ्तार की वजह से सपना पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर आदर्श कुमार का कहना है कि अभी दुधवा पार्क के जंगल में हाथियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। अगर हाथी मिल जाते हैं तो पेट्रो¨लग में प्रयोग किए जाएंगे। आने वाले समय में माला जंगल से हाथियों से सैर कराने पर विचार किया जा सकता है।