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ओवरस्पीड वाहन वन्यजीवों के लिए बन रहे काल

टाइगर रिजर्व के जंगल के अंदर गुजरने वाले मार्ग पर दौड़ने वाले ओवरस्पीड वाहन वन्यजीवों के लिए काल बन रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 11:30 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 11:30 PM (IST)
ओवरस्पीड वाहन वन्यजीवों के लिए बन रहे काल
ओवरस्पीड वाहन वन्यजीवों के लिए बन रहे काल

पीलीभीत : टाइगर रिजर्व के जंगल के अंदर गुजरने वाले मार्ग पर दौड़ने वाले ओवरस्पीड वाहन वन्यजीवों के लिए काल बनते जा रहे हैं। ओवरस्पीड वाहनों की चपेट में रोजाना कोई न कोई वन्यजीव आ रहे हैं, इसके बावजूद वन अधिकारी कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।

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टाइगर रिजर्व का जंगल 71288 हेक्टेयर एरिया में फैला हुआ है, जिसमें लुप्तप्राय बाघ, हिरन, तेंदुआ, अजगर समेत वन्यजीव विचरण करते रहते हैं। टाइगर रिजर्व की माला रेंज के जंगल के अंदर से माधोटांडा और पूरनपुर मार्ग गुजरता है। दोनों मार्ग आठ किलोमीटर तक जंगल में गुजरते हैं। महोफ रेंज के जंगल के अंदर से पूरनपुर-खटीमा मार्ग गुजरता है। पिछले साल चूका बैरियर के पास भालू के दो बच्चों की वाहन से कुचलकर मौत हो चुकी है। माधोटांडा मार्ग पर कैट प्रजाति के वन्यजीवों की वाहन से कुचलकर मौत हो चुकी है। पिछले दिनों गजरौला गुरुद्वारा के पास वाहन से कुचलकर तेंदुआ की मौत हो चुकी है। वन विभाग ने जंगल मार्ग से 30 किलोमीटर प्रति घंटा की दूरी तय रखी है, लेकिन 50 से अधिक स्पीड में वाहन दौड़ते हैं। तेज गति से दौड़ रहे वाहनों की चपेट में वन्यजीव आ रहे हैं। माला रेंज के गढ़ा जंगल में बंदर रोड पर घूमते रहते हैं। तेज गति के वाहन वन्यजीवों के लिए काल बन रहे हैं। गढ़ा रेंज में लोहे के ड्रम रखकर अस्थाई बैरियर बनाए गए हैं। लोहे के ड्रम को वाहनों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। टाइगर रिजर्व प्रशासन ने तेज गति के वाहनों की स्पीड नियंत्रित करने की दिशा में कड़े कदम नहीं उठाए हैं। अगर समय रहते स्थायी प्रयास नहीं किए गए तो वाहनों से वन्यजीव कुचलते रहेंगे।


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