प्रशासन ने डेयरी संचालकों पर कसा शिकंजा
जिला प्रशासन ने शहर के डेयरी संचालकों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
पीलीभीत : जिला प्रशासन ने शहर के डेयरी संचालकों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए शिकंजा कस दिया है। अब कोई भी डेयरी संचालक जब मर्जी आए अपने पशुओं को सड़कों पर नहीं निकाल सकेगा। इसके लिए समय निर्धारित कर दिया गया है। साथ ही डेयरियों के सभी पशुओं के गले में रेडियम पट्टी डालकर उसमें संचालक का मोबाइल नंबर प्रदर्शित करना होगा। गोबर नालियों में नहीं बहाया जाएगा बल्कि सूखा ही शहर के बाहर भिजवाने की व्यवस्था करनी होगी।
मंगलवार को सिटी मजिस्ट्रेट अर्चना द्विवेदी ने शहर के सभी डेयरी संचालकों को कलेक्ट्रेट में बुलाकर बैठक ली। नगर पालिका परिषद की अधिशासी अधिकारी निशा मिश्रा भी मौजूद रहीं। सिटी मजिस्ट्रेट ने डेयरी संचालकों से कहा कि उनके पशुओं को डेयरी से बाहर निकालने का कार्य सुबह 10 से 11 बजे तक करना होगा। अपराह्न 12.30 से 1.30 बजे तक पशुओं की डेयरी में वापसी हो जानी चाहिए। डेयरी के पशु सड़कों पर नहीं दिखने चाहिए। सिटी मजिस्ट्रेट ने कहा कि सभी संचालक अपनी-अपनी डेयरी का गोबर सूखा ही शहर के बाहर पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें। गोबर न तो नालियों में बहाएं और न ही आबादी के बीच ढेर लगाएं। सभी डेयरी संचालक अपने पशुओं के गले में रेडियम पट्टी डालेंगे। उस पर उनका मोबाइल नंबर अंकित रहना चाहिए , जिससे तयशुदा समय के अलावा सड़कों पर पशुओं के दिखने पर पशुपालक की जिम्मेदारी तय की जा सके। सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि आगे चलकर सभी डेयरियों को शहर की सीमा से बाहर स्थापित कराना है लेकिन इसमें अभी समय लगेगा। अलबत्ता अन्य सभी नियमों का पालन बुधवार से ही सुनिश्चित करने के लिए कह दिया गया है। नगर पालिका के वार्ड संख्या 14 की सभासद सलमा अनवर ने डीएम को पत्र देकर खाली पड़े भूखंडों पर गोबर के ऊंचे ऊंचे ढेर लगे हैं। इससे संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा है।