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आर्थिक तंगी से जूझ रहे प्रवासी मजदूर

बाहरी प्रदेशों से गांव में लौट कर आए प्रवासी मजदूर गांव में मजदूरी ना मिलने से भारी आर्थिक से जूझ रहे हैं। महंगाई में दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है। राशन कार्ड ना होने के कारण सरकार द्वारा दिए जाने वाला खाद्यान्न भी उन्हें उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 11:12 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 06:09 AM (IST)
आर्थिक तंगी से जूझ रहे प्रवासी मजदूर
आर्थिक तंगी से जूझ रहे प्रवासी मजदूर

जेएनएन, मीरपुर वाहनपुर (पीलीभीत): बाहरी प्रदेशों से गांव में लौट कर आए प्रवासी मजदूर गांव में मजदूरी ना मिलने से भारी आर्थिक से जूझ रहे हैं। महंगाई में दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है। राशन कार्ड ना होने के कारण सरकार द्वारा दिए जाने वाला खाद्यान्न भी उन्हें उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।

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गरीबी और बेरोजगारी से परेशान होकर परिवार के साथ गांव छोड़कर राजस्थान, गुजरात, हरियाणा व अन्य प्रदेशों को बड़ी संख्या में इस क्षेत्र से ग्रामीण मजदूरी करने गए थे। उन्हें मजदूरी मिलने से अच्छी कमाई होने लगी थी। एक दिन में 800 से 1000 रुपय तक की दिहाड़ी मिलने लगी थी। इस आमदनी से रोजमर्रा के खर्चे तो आसानी से चलने लगे। साथ ही उन्होंने बचत भी करनी शुरू कर दी थी। बचत से गांव आकर अपने घरों को बनवाने तथा बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाने के सपने सजे लिए थे परंतु कोविड-19 महामारी से उपजे हालात ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। इस महामारी से उद्योग धंधे ठप हो जाने के कारण मायूस होकर तमाम तकलीफ सहते हुए प्रवासी मजदूर उदास चेहरा लिए गांव लौट आए। मुसीबतें झेलते हुए घर तो पहुंच गए लेकिन यहां मजदूरी भी नहीं मिल पा रही है। ऐसे में आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। प्रवासी मजदूरों के घरों के चूल्हे बहुत मुश्किल से जल रहे हैं। कुछ प्रवासी मजदूरों ने तो खर्चा चलाने के लिए कर्जा ले लिया है। उनके चेहरे पर उदासी छाई हुई है। वह आस लगाए बैठे हैं कि शायद सरकार द्वारा गांव में ही कोई योजना चलाकर उन्हें मजदूरी मुहैया कराई जाए।

हमारा परिवार जयपुर में जरी का कार्य कर अपना गुजारा कर रहा था। लाक डाउन के चलते धंधा ठप हो जाने से गांव वापस लौटना पड़ा है गांव में अभी उन्हें मजदूरी नहीं मिली जिससे परिवार को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। परिवार की महिलाएं व बच्चे काफी परेशान हैं।

मोहम्मद आशिक नेपाल में ईंट भट्ठे पर मजदूरी कर अच्छी कमाई कर रहा था। कोविड-19 महामारी के कारण धंधा बंद हो गया और गांव लौटना पड़ा है। यहां अभी तक कोई भी काम नहीं मिला है जिससे परिवार के सामने रोजी-रोटी समस्या बनी हुई है।

अलाउद्दीन राजस्थान से लौटा हूं गांव में अभी तक कोई भी मजदूरी नहीं मिली है काम की तलाश में सुबह से शाम तक भटकता रहता हूं परिवार के सामने आर्थिक संकट बना हुआ है। कैसे गुजारा करें यह चिता सता रही है। प्रशासन स्तर से भी अभी कोई मदद नहीं मिल पा रही है और न ही खाद्यान्न मिल पा रहा है।

जान मोहम्मद हमारा परिवार राजस्थान में मजदूरी करता था। लाकडाउन के कारण वहां से गांव लौटना पड़ा यहां अभी तक कोई भी काम नहीं मिल पा रहा है। इसी कारण परिवार का गुजारा बहुत मुश्किल से हो रहा है जो भी रुपये कमाए थे, सब खर्च हो चुके। अब कर्ज लेकर घर का खर्चा चलाना पड़ रहा है।

मथुरा दास


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