टाइगर रिजर्व में असलाहधारक पंजीकृत नहीं
टाइगर रिजर्व बनने के बाद असलाहधारकों के लिए नए नियम-निर्देश जारी किए गए थे।
पीलीभीत : टाइगर रिजर्व बनने के बाद असलाहधारकों के लिए नए नियम-निर्देश जारी किए गए थे। जंगल किनारे बसे गांव के प्रत्येक असलाहधारक को नवीनीकरण से पहले टाइगर रिजर्व मुख्यालय में पंजीकरण कराना अनिवार्य किया गया था। मगर आज चार साल बाद भी एक भी असलाहधारक टाइगर रिजर्व में पंजीकृत नहीं है। ऐसे में वन्यजीवों की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा होता है। इस संबंध में टाइगर रिजर्व और जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
राज्य सरकार ने नौ जून 2014 को टाइगर रिजर्व की स्थापना की थी। टाइगर रिजर्व के जंगल में बाघ, तेंदुआ, हिस्पिडहियर, चीतल, मोर, बंगाल फ्लोरिकन समेत कई प्रकार के वन्यजीव स्वच्छंद विचरण करते हैं। जंगल में 350 प्रजातियों की चिड़िया पाई जाती हैं। टाइगर रिजर्व गठन के बाद जंगल किनारे गांव में रहने वाले लोगों के लिए नए नियम जारी किए गए थे। जिन व्यक्तियों के पास रिवाल्वर, राइफल, बंदूक समेत अन्य आग्नेयास्त्र हैं। उन असलाहधारकों को टाइगर रिजर्व मुख्यालय में पंजीकरण कराना अनिवार्य किया गया था। आज चार साल बाद भी एक असलाहधारक पंजीकृत नहीं हो सके हैं। ऐसे में वन्यजीव शिकार की घटना होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। अभी तक टाइगर रिजर्व प्रशासन के पास यह जानकारी नहीं है कि जंगल के किनारे कितने गांव में असलाहधारक हैं। इस दिशा में जिला प्रशासन भी सख्त रुख नहीं दिखा रहा है। टाइगर रिजर्व मुख्यालय में बगैर पंजीकरण कराए ही आग्नेयास्त्रों का नवीनीकरण हो जा रहा है। इसी वजह से कोई असलाहधारक टाइगर रिजर्व का रुख नहीं कर रहा है। ऐसे में वन्यजीवों की सुरक्षा पर असर पड़ रहा है। असलाहधारक नियमों का धड़ल्ले से उल्लंघन कर रहे हैं। टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ.एच.राजामोहन का कहना कि आग्नेयास्त्र धारकों को पंजीकरण कराना चाहिए। इस बारे में जल्द ही पंजीकरण प्रक्रिया को शुरू कराया जाएगा।