Move to Jagran APP

मुश्किल भरी डगर पार कर पहुंचे प्रवासी

लॉकडाउन के बाद क्षेत्र में दूसरे राज्यों से बड़ी कठिनाई सहकर भूखे प्यासे पैदल चलकर प्रवासी श्रमिकों ने सफर तय करके अपनों के बीच पहुंचे। प्रवासियों ने बताया कि कहीं रास्ते में शिविर में भोजन मिल गया तो कर लिया नहीं तो रुक रुक कर सफर करते रहे। एक दो जगह सवारियां मिल गई तो कुछ सुकून मिल गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 11:57 PM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 06:08 AM (IST)
मुश्किल भरी डगर पार कर पहुंचे प्रवासी
मुश्किल भरी डगर पार कर पहुंचे प्रवासी

जेएनएन, अमरिया (पीलीभीत): लॉकडाउन के बाद क्षेत्र में दूसरे राज्यों से बड़ी कठिनाई सहकर भूखे प्यासे पैदल चलकर प्रवासी श्रमिकों ने सफर तय करके अपनों के बीच पहुंचे। प्रवासियों ने बताया कि कहीं रास्ते में शिविर में भोजन मिल गया तो कर लिया नहीं तो रुक रुक कर सफर करते रहे। एक दो जगह सवारियां मिल गई तो कुछ सुकून मिल गया। अधिकांश समय पैदल ही चलते रहे। जब काम धंधा बंद हो गया जो कमाया था बैठे बैठे खा गए। लोग काफी समय से फैक्ट्रियों में काम करके जीवन यापन कर रहे थे। अचानक कोरोना महामारी फैलने से रोजगार बंद हो गए। काम की उम्मीद दिखाई नहीं दी तो अपने गंतव्य को रवाना हो गए। रास्ते में कठिनाई बहुत थी, लेकिन घर पहुंचने के जुनून में हिम्मत नहीं टूटी काम तो गांव में नहीं है, लेकिन फिर भी अपनो में सुकून है। बाहर के खर्च बहुत हैं। गांव में तो अगर किसी चीज की दिक्कत है तो उधार भी मिल जाता है, लेकिन परदेस में बिन पैसे कुछ नहीं मिलता है। अभी खेती किसानी का कोई काम नहीं है खाली बैठे हैं। गांवों में मनरेगा कार्य हो रहे हैं, लेकिन बेरोजगारी के चलते श्रमिकों की भीड़ हो जाती है। दो चार दिन में ही काम समाप्त हो जाता है। सबसे बड़ी मुश्किलें फर्नीचर मिस्त्री, वेल्डर, फाइबर व सिलाई आदि के काम करने वालों की है जो गांव में फावड़ा आदि नहीं चला सकते।

loksabha election banner

-पिछले चार माह से झारखंड में ठेके पर फर्नीचर का कार्य कर रहे थे अचानक लॉक डाउन घोषित होने से जो काम था वह बंद हो गया काम शुरू होने की उम्मीद खत्म हो गई मुश्किल से ट्रेन से दिल्ली पहुंचे वहां से अपनी सवारी कर घर आये है।

मोहम्मद दानिश

-दिल्ली में आठ वर्षों से फैक्ट्री में सफाई कर्मचारी का काम करते थे जो रोजगार था बंद हो गया दिल्ली से पैदल सफर करके घर पहुंचे हैं एक माह से अधिक हो गया खाली बैठे हैं सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान से जो राशन मिल जाता है उसी से गुजर बसर हो रही।

राजाराम

-लॉकडाउन लगने से बहुत असर पड़ा है बच्चों के साथ दिल्ली में रहकर फैक्ट्री में कपड़े की पैकिग का कार्य करते थे दो माह से खाली बैठे सब खर्चा हो गया जिससे रोजी रोटी का संकट गहरा गया है बड़ी मुश्किल से घर आये हैं।

क्रांति देवी

-लॉकडाउन से बहुत असर पड़ा है रोजगार सब बंद हो गए झारखंड में जहां दरवाजे पल्ले बनाने काम कर रहे थे वहां भी पैसा रूक गया गांव में भी कोई रोजगार नहीं है बेरोजगारी इतनी फैल गई है किसी काम में दम नहीं है एक काम को कई कई लोग कर रहे हैं जिससे बहुत मंदी है।

मोहम्मद आसिफ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.