दवाइयों की बिक्री में 60 फीसद की गिरावट
कोविड-19 जैसी महामारी के दौर में लागू हुए लंबे लॉकडाउन की वजह से जहां एक ओर आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप हो गई थीं। हालांकि बाद में कुछ हद तक पुन चालू भी हो गईं। साथ ही लंबे समय तक लोगों के घरों में बने रहने सड़कों पर वाहन नहीं चलने होटल रेस्टोरेंट के साथ ही स्ट्रीट फूड की दुकानें बंद रहने से लोगों की सेहत खराब नहीं हुई। इसी कारण आम तौर पर लोगों को दवाइयों का इस्तेमाल भी नहीं करना पड़ा।
जेएनएन, पीलीभीत : कोविड-19 जैसी महामारी के दौर में लागू हुए लंबे लॉकडाउन की वजह से जहां एक ओर आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप हो गई थीं। हालांकि बाद में कुछ हद तक पुन: चालू भी हो गईं। साथ ही लंबे समय तक लोगों के घरों में बने रहने, सड़कों पर वाहन नहीं चलने, होटल, रेस्टोरेंट के साथ ही स्ट्रीट फूड की दुकानें बंद रहने से लोगों की सेहत खराब नहीं हुई। इसी कारण आम तौर पर लोगों को दवाइयों का इस्तेमाल भी नहीं करना पड़ा। ऐसे में छिटपुट बीमारियों से संबंधित जिन दवाइयों की पहले इन दिनों काफी अधिक मात्रा में बिक्री होती थी लेकिन इस बार इसकी भारी गिरावट आई है।
होली जैसे त्योहार के बाद मार्च और अप्रैल के महीने में मौसम में बदलाव के साथ ही सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार जैसी बीमारियों से लोग तेजी के साथ पीड़ित होने लगते थे। ऐसे में कुछ लोग चिकित्सक की सलाह पर और बहुत से लोग सीधे मेडिकल स्टोर से इन बीमारियों की दवाइयां खरीदने लगते थे। लॉकडाउन के कारण सभी होटल, रेस्टोरेंट, सड़कों के किनारे बिकने वाले स्ट्रीट फूड आदि सभी बंद हैं। वरना लोग घर के बजाय बाहर के खानपान को ज्यादा पसंद करते रहे हैं। ऐसी स्थिति में खानपान में गड़बड़ी के कारण डायरिया अपने पैर पसार लेता रहा है। तब डायरिया से संबंधित दवाइयों की बिक्री भी खूब होती थी। इस बार स्थिति एकदम उलट है। लोग लॉकडाउन के दौरान अपने घरों में रह रहे। बाहर का कुछ भी खानपान नहीं मिल रहा। घर का बना नाश्ता और भोजन ही करते हैं। इसका परिणाम यह है कि पेट संबंधी बीमारियां उनसे इस बार दूर हैं। जिले में थोक व फुटकर मिलाकर लगभग नौ सौ मेडिकल स्टोर संचालित हो रहे हैं। इन पर ऐसी दवाइयों की बिक्री साठ फीसद तक घट गई है।
इनसेट
मेडिकल स्टोरों से हर महीने बिक्री होने वाली दवाइयों का ब्योरा विभाग नहीं मांगता है लेकिन यह निश्चित तौर पर सही है कि इस बार सामान्य बीमारियों की दवाइयों की बिक्री में काफी गिरावट आई है। इसका कारण भी लॉकडाउन है। प्रदूषण में कमी और बाहरी खानपान के बजाय घरों पर तैयार नाश्ता व भोजन लोगों को मिल रहा। साथ ही स्वास्थ्य संबंधी छिटपुट समस्याओं के प्रति लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है। इसी वजह से दवाइयों की बिक्री का ग्राफ भी गिरा है।
-बबिता रानी, औषधि निरीक्षक