घर-घर होगी मलेरिया की रैपिड जांच, 10 मिनट में रिजल्ट
पीलीभीत मलेरिया को नियंत्रित करने के लिए भी स्वास्थ्य विभाग व व मलेरिया विभाग संजीदा है।
पीलीभीत : कोरोना संक्रमण के साथ ही मलेरिया को नियंत्रित करने के लिए भी स्वास्थ्य विभाग व मलेरिया विभाग संजीदा है। मलेरिया विभाग ने संवेदनशील क्षेत्रों के साथ ही सामान्य ग्रामीण व शहरी इलाकों में घर-घर सर्वे शुरू करा दिया है। संचारी रोग नियंत्रण अभियान के अंतर्गत 15 जुलाई के बाद से घर-घर सर्वे के दौरान ही मलेरिया की रैपिड जांच भी की जाएगी। इसके लिए मलेरिया विभाग आशाओं को प्रशिक्षण देने की तैयारी कर रहा है।
सहायक जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. राजीव मौर्या ने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि मलेरिया की रोकथाम के लिए बारिश की शुरुआत से पूर्व ही प्रयास शुरू किए जा चुके हैं। जनपद में अतिसंवेदनशील व संवेदनशील क्षेत्रों का चयन कर डीटीटी का छिड़काव कराया जा रहा है। छिड़काव का प्रथम चरण पूर्ण हो चुका है। संचारी रोग नियंत्रण माह में घर-घर सर्वे कराकर बुखार के मरीजों की पहचान की जाएगी। इसके साथ ही 15 जुलाई के बाद से सर्वे के दौरान ही बुखार के मरीजों की मलेरिया-आरडीटी किट द्वारा रैंडम जांच कराई जाएगी। इसके लिए सभी सीएचसी व पीएचसी पर आशाओं को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। 10 मिनट में घर बैठे रिजल्ट आरडीटी किट से घर पर ही मलेरिया की जांच संभव हो सकेगी। आशा बुखार के मरीज की जांच घर पर ही करेगी। ब्लड ड्राप किट में रखने के बाद 10 मिनट में रिजल्ट मिल सकेगा। पॉजिटिव रिजल्ट मिलने पर मलेरिया मरीज को इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाएगा। 12,000 किट उपलब्ध जनपद में मलेरिया की रैपिड जांच के लिए 12000 आरडीटी किट उपलब्ध हैं। मलेरिया विभाग द्वारा इन किटों को आशाओं में वितरित किया जाएगा जो सर्वे के दौरान लोगों की जांच करेंगी। इसके साथ ही मलेरिया विभाग की ओर से 20000 किट की डिमांड भी भेजी गई है। गत वर्ष की अपेक्षा मलेरिया का प्रकोप कम जनपद में गत वर्ष की अपेक्षा मलेरिया का प्रकोप काफी कम है। गत वर्ष जनपद के बीसलपुर व बरखेड़ा क्षेत्र में मलेरिया के सर्वाधिक मरीज सामने आए थे। कोरोना संक्रमण काल के दौरान मलेरिया के मरीजों की संख्या कम रही है। विभागीय अधिकारी इसके लिए दो कारण प्रमुख मान रहे हैं। पहला, गत वर्ष जनपद में मलेरिया रोग महामारी के रूप में फैला था। वर्तमान वर्ष में अभी तक जनपद में ऐसी स्थिति नहीं है। दूसरा, कोरोना के कारण अस्पतालों की ओपीडी बाधित रही है जिस कारण अधिक संख्या में मरीज अस्पतालों में नहीं पहुंच सके हैं। हालांकि गत वर्ष की छमाही व वर्तमान वर्ष की छमाही में मलेरिया जांच की संख्या में अधिक अंतर नहीं है। परंतु औसतन मरीजों की संख्या इस वर्ष बहुत कम है।