मझोला चीनी मिल चलने की फिर जगी उम्मीद
योगी सरकार के बजट में हुई घोषणा से बंद पड़ी मझोला स्थित सहकारी चीनी मिल के फिर संचालित होने की उम्मीद हो गई है।
पीलीभीत: योगी सरकार के बजट में हुई घोषणा से बंद पड़ी मझोला स्थित सहकारी चीनी मिल के फिर से चालू होने की उम्मीद एक बार फिर जगी है। चीनी मिल बंद पड़ी होने से एक ओर रोजगार ठप है तो दूसरी ओर कस्बे का व्यवसाय भी चौपट हो रहा है। कभी यह चीनी मिल जिले की शान कहलाती थी। सैकड़ों लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ था। साथ ही तमाम लोग अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता था, जो मिल बंदी से छिन गया। इस चीनी मिल की स्थापना वर्ष 1965 में हुई थी। उस दौर में जिले में सिर्फ दो ही चीनी मिलें हुआ करती थीं एक मझोला की सहकारी चीनी मिल और दूसरी पीलीभीत की एलएच शुगर मिल। सहकारी क्षेत्र में मझोला की मिल इकलौती थी। बीसलपुर व पूरनपुर में तो सहकारी चीनी मिलों की स्थापना काफी बाद में हुई। इस मिल का दुर्भाग्य यह रहा कि कुप्रबंधन के चलते जब लगातार घाटा होने लगा तो उप्र चीनी मिल संघ ने वर्ष 2009 में इसे बंद कर दिया। अनेक कर्मचारियों को वीआरएस दे दी गई। कुछ के दूसरी मिलों में तबादले हो गए। पिछले कई चुनावों में इस मिल का चालू कराने का मुद्दा उठता रहा है।
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सरकार इस फैक्ट्री को चालू कराना चाहती है, यह खुशी की बात है। इसमें पूर्व कर्मचारियों के बच्चों को रोजगार दिया जाना चाहिए।
हर नारायण शुक्ला, मिल कॉलोनी
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अगर चीनी मिल फिर से चालू हो जाती है तो यह तमाम मजदूरों के लिए संजीवनी होगी। इससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
अतुल विश्वकर्मा, मिल कॉलोनी
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जब से यह चीनी मिल बंद हुई है, तभी से कस्बे का व्यापार चौपट पड़ा है। अगर मिल चालू हो जाती है तो इससे व्यवसाय में तेजी आएगी।
मोहित गोगिया, व्यापारी
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चीनी मिल बंद हो जाने से इसमें नौकरी करने वाले तो प्रभावित रहे ही हैं। उनके अलावा सबसे बड़ा नुकसान व्यापारियों का हुआ है।
सोनू अरोरा, व्यापारी
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चीनी मिल बंद हो जाने के कारण किसान सर्वाधिक परेशान रहे हैं। उन्हें अपना गन्ना कम दामों पर बेचना पडा है। मिल चलने पर किसानों का फायदा होगा।
दल¨वदर ¨सह, किसान
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