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श्रीराम ने किया अहंकारी रावण का वध

पीलीभीतजेएनएन रामलीला मैदान पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और लंकाधिपति रावण की सेनाओं के बीच युद्ध की लीला का मंचन किया गया। मेघनाद और कुंभकरण के मारे जाने के बाद रावण स्वयं युद्ध क्षेत्र में पहुंचता है। श्रीराम और रावण के बीच काफी देर तक युद्ध होता रहा। श्रीराम ने अपने वाणों के प्रहार से रावण का वध कर दिया। रावण वध की लीला के उपरांत मैदान पर खड़े किए गए पुतले दहन किए गए। पीलीभीतजेएनएन रामलीला मैदान पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और लंकाधिपति रावण की सेनाओं के बीच युद्ध की लीला का मंचन किया गया। मेघनाद और कुंभकरण के मारे जाने के बाद रावण स्वयं युद्ध क्षेत्र में पहुंचता है। श्रीराम और रावण के बीच काफी देर तक युद्ध होता रहा। श्रीराम ने अपने वाणों के प्रहार से रावण का वध कर दिया। रावण वध की लीला के उपरांत मैदान पर खड़े किए गए पुतले दहन किए गए।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 11:26 PM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 11:26 PM (IST)
श्रीराम ने किया अहंकारी रावण का वध

पीलीभीत,जेएनएन : रामलीला मैदान पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और लंकाधिपति रावण की सेनाओं के बीच युद्ध की लीला का मंचन किया गया। मेघनाद और कुंभकरण के मारे जाने के बाद रावण स्वयं युद्ध क्षेत्र में पहुंचता है। श्रीराम और रावण के बीच काफी देर तक युद्ध होता रहा। श्रीराम ने अपने वाणों के प्रहार से रावण का वध कर दिया। रावण वध की लीला के उपरांत मैदान पर खड़े किए गए पुतले दहन किए गए।

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शुक्रवार की सायं रामलीला मैदान पर मंचन देखने के लिए हजारों लोग जुटे। पिछले साल कोविड महामारी के कारण रामलीला का मंचन नहीं हो सका था। मैदान पर राम और रावण की सेनाओं के स्वरूप में रामलीला के कलाकारों ने भावपूर्ण अभिनय किया। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से रावण का मायावी युद्ध शुरू हो जाता है। तब श्रीराम ने अपने वाण से रावण की मायावी शक्ति को नष्ट कर दिया। साथ ही अपने तीक्ष्ण वाणों से रावण की सेना का संहार कर दिया, इसके उपरांत राम और रावण के बीच फिर सीधा युद्ध होने लगता है। श्रीराम अपने वाणों से रावण के 10 सिर और 20 भुजाएं काट देते हैं लेकिन पुन: जुड़ गए। तब विभीषण श्रीराम को बताते हैं कि रावण की नाभि में अमृत कुंड है। इसी कारण यह मृत्यु को प्राप्त नहीं होता। इसके बाद श्रीराम ने शरणागत विभीषण को पीछे कर रावण पर वाणों की बौछार कर दी। एक वाण उसकी नाभि में लगता है तो रावण कटे वृक्ष के समान भूमि पर गिर पड़ता है। देवता श्रीराम की जय जयकार करने लगते हैं। इसी दौरान मैदान पर खड़े किए गए रावण, कुंभकरण व मेघनाद के पुतलों का दहन होता है। आतिशबाजी के बीच श्रीराम की जय जयकार का उद्घोष दर्शक करने लगे। दशहरा पर मुख्य अतिथि सदर विधायक संजय सिंह गंगवार ने श्रीराम का विजय तिलक किया। साथ ही राम-सीता और लक्ष्मण के स्वरूपों की आरती की। इस अवसर पर महंत ओमकार नाथ, सुनील मिश्र, प्रेम सिंह, नरेश शुक्ल, अंबरीश शर्मा, संजीव मिश्र, निरंजन शर्मा समेत मेला कमेटी से जुड़े सदस्य मौजूद रहे।


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